मैं कल भी अकेला था
आज भी अकेला हूं
और संघर्ष पथ पर
हमेशा अकेला ही रहूंगा
मैं किसी धर्म का नहीं
मैं किसी दल का नहीं
सम्मुख आने से मेरे
भयभीत होते सभी
जानते हैं सब मुझको
परंतु स्वीकार करना चाहते नहीं
मैं तो सबका हूं
किंतु कोई मेरा नहीं
फिर भी मैं किसी से डरता नहीं
ना कभी झुकता हूं
ना कभी टूटता हूं
याचना मैं करता नहीं
संघर्षों से थकता नहीं
झुक जाते हैं लोचन सबके
जब मैं नैन मिलाता हूं
क्योंकि मैं सत्य हूं
केवल सत्य हूं
बादलों द्वारा ढक जाने से
गति सूर्य की रुकती नहीं
कितनी भी हो विपरीत परिस्थितियां
परंतु मेरी पराजय कभी होती नहीं
आलोक कौशिक