आपके किचन में ठंड से होने वाली ज्यादातर बीमारियों का इलाज है। सर्दी, खांसी, बुखार, डेंगू, अस्थमा, सिरदर्द, त्वचा का रूखापन, बलगम जमा होना, जोड़ों का दर्द, बदन दर्द, डायबिटीज थायरायड जैसी बीमारियों का घरेलू उपचार कर कुछ हद तक आराम पाया जा सकता है। अगर इन बीमारियों का प्रकोप बढ़े, तब इन सामाग्रियों और कुछ अन्य विशिष्ट आयुर्वेदिक औषधियों के माध्यम से आयुर्वेद इन बीमारियों को जड़ से खत्म कर सकता है। ऐसा आयुर्वेद के विशेषज्ञ चिकित्सक डॉ मधुरेंद्र पांडेय ने हिन्दुस्तान से खास बातचीत में बताया। हिन्दुस्तान डॉक्टर की सलाह कार्यक्रम में रविवार को वे हिन्दुस्तान के पटना कार्यालय में मॉजूद थे।
उन्होंने कहा कि अस्थमा पीड़ितों, शुगर और हाई बीपी के ग्रसित लोगों को ठंड में सावधानी बरतनी चाहिए। सुबह धूप निकलने से पहले कुहरा रहने और शाम को ठंड बढ़ने पर घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए।
रसोईघर में प्रयुक्त हल्दी, दूध, सरसों का तेल, घी, आजवाइन, काली मिर्च, दालचीनी, बड़ी इलायची, अदरख, आंवला, नींबू, प्याज, लहसुन, मेथी, वीसी, जायफल आदि एक प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां ही हैं। इसके अलावा तुलसी का पत्ता, गिलोय, करी पत्ता, पपीते का पत्ता, नीम का पत्ता जैसी कुछ घरेलू सामग्रियों का प्रयोग कर डेंगू, कोरोना आदि बीमारियों से बचाव में सहायक है।
रोहतास से एक पाठक संजीव सिंह ने सवाल पूछा कि वह चार दिनों से डेंगू बुखार से पीड़ित है। अब काफी कमजोरी है अब उसे क्या करना चाहिए ?
इस पर डॉक्टर मधुरेंद्र की सलाह – डेंगू का वायरस किसी इंसान के खून में दो से सात दिनों तक रहता है। खून में प्लेटलेट्स की कमी हो जाती है। पपीते के पत्ते का रस, बकरी का दूध, गिलोय का सेवन फायदेमंद होता है। इससे प्लेटलेट्स बढ़ती हैं। जो कि घास और एलोवेरा का रस भी उपयोगी है। गिलोय घनवटी और गिलोय क्वाथ और ज्वरनाशक वटी औषधियां फायदेमंद हैं।
वहीं गया से संगीता कुमारी ने पूछा, ठंड में अस्थमा का प्रकोप बढ़ गया है, क्या उपाय है?
सलाह : एक चम्मच मेथी को एक गिलास पानी में तब तक उबालें जबतक पानी एक तिहाई ना हो जाए। इस पानी में शहद और अदरख के रस को मिलाकर रोज सुबह-शाम सेवन करें। मेथी शरीर के भीतरी एलर्जी को नष्ट करने में सहायक होती है। श्वासरि क्वाथ 200 ग्राम और मुलेठी क्वाथ 100 ग्राम को मिला दें। इस मिश्रण के एक चम्मच यानी पांच से सात ग्राम मिलाकर 400 मिली पानी में पकाएं। पानी एक चौथाई होने पर प्रात: खाली पेट और रात के खाने के बाद सेवन करें। सितोपलादी चूर्ण- 25 ग्राम, अभ्रक भस्म-05 ग्राम, प्रवाल पिष्टी- 10 ग्राम, त्रिकूट चूर्ण का मिश्रण कर 60 पुड़िया बना लें। रोज सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करें। लक्ष्मी विलास रस -40 ग्राम व संजीवनी बटी-40 ग्राम लें। दोनों में से सुबह, दोपहर व शाम को खाने के बाद एक-एक गोली लें।