खरखोदा के सरकारी अस्पताल में नवजात की मौत के बाद परिजनों ने जमकर किया है। परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से नवजात की मौत हुई है। वहीं हंगामे की सूचना मिलने के बाद खरखोदा थाना पुलिस मौके पर पहुंची और नवजात के शव को कब्जे में लेकर मामले की गहनता से जांच शुरू कर दी है।
मिली जानकारी के अनुसार सोनीपत के गांव सिसाना की रहने वाली आरती को बीती 5 तारीख को देर शाम खरखौदा के सरकारी अस्पताल में डिलीवरी के लिए दाखिल करवाया गया था और उस समय परिजनों ने आरती के हालात वहां पर मौजूद नर्स और डॉक्टरों को बताए थे। उसके बावजूद भी डॉक्टरों ने आरती के हालातों पर ध्यान नहीं दिया। परिजनों का आरोप है कि जिस समय डिलीवरी हुई उस समय आरती के पास कोई भी नहीं था और आरती को अकेला छोड़ दिया गया। जिसकी वजह से बच्चा फर्श पर गिर गया और नीचे गिरने की वजह से बच्चे की मौत हो गई। नर्स और डॉक्टर उस समय वहां पर नहीं थे और अपनी लापरवाही छिपाने के लिए आरत को रोहतक पीजीआई रेफर कर दिया गया।
परिजनों का आरोप है कि जिस एंबुलेंस में उन्हें भेजा गया उस एंबुलेंस में ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी और एंबुलेंस चालक पर भी लापरवाही के आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस चालक भी लंबे रास्ते से रोहतक लेकर गया और वहां पर डॉक्टरों ने उनके नवजात बच्चे को मृत घोषित कर दिया। परिजनों का आरोप है कि लापरवाह डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
पूरे मामले में खरखोदा सीनियर मेडिकल ऑफिसर सतपाल का कहना है कि महिला को डिलीवरी के लिए दाखिल करवाया गया था और सुबह उसकी डिलीवरी हो गई थी। डिलीवरी के बाद बच्चे के हालात ठीक नहीं थे। जिस कारण बच्चे को रोहतक के लिए रेफर कर दिया गया था। परिजनों ने बताया है कि बच्चे की मौत रोहतक पीजीआई में हुई है। हमने परिजनों को लिखित में शिकायत देने की बात कही है। लिखित में शिकायत के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। अगर परिवार पोस्टमार्टम करवाना चाहता है तो पुलिस पोस्टमार्टम भी करवा देगी। शिकायत के बाद जो भी इस मामले में दोषी होगा उसके खिलाफ विभागीय जांच के बाद सख्त से सख्त कार्रवाई होगी।