राजधानी पटना के राजीव नगर क्षेत्र के नेपाली नगर में जब निर्माण कार्य चल रहा था तो उसे क्यों नहीं रोका गया? बगैर मिलीभगत के निर्माण कार्य नहीं हुआ होगा। नेपाली नगर से अतिक्रमण हटाने को लेकर बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान पटना हाईकोर्ट में यह तल्ख टिप्पणी की। कोर्ट ने आदेश दिया कि पिछले 25 वर्षों से बोर्ड में तैनात एमडी तथा राजीव नगर में अवस्थित बोर्ड के कार्यालय में पदस्थापित अधिकारियों-कर्मियों के नाम बताएं। वहीं, सरकारी वकील किंकर कुमार को कहा कि राजीव नगर थाने में पिछले 25 वर्षों से तैनात रहे थानेदारों की सूची दें।
कोर्ट के रुख के बाद इस दौरान तैनात रहे अधिकारियों व कर्मचारियों पर शिकंजा कसना तय माना जा रहा है। रविवार को नेपाली नगर के घरों को तोड़ने की कार्रवाई पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि आखिर किस वजह से रविवार को घर तोड़ने की कार्रवाई की गई।
हाईकोर्ट ने सरकार से जानना चाहा कि क्या आमजन के लिए कलेक्ट्रेट रविवार को खुला रहता है कि आमजन अपना काम रविवार को करा सकें। कोर्ट ने अगली सुनवाई के दौरान पटना डीएम, सीओ, हाउसिंग बोर्ड के एमडी को अपने वकील को सहयोग करने के लिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया। मामले पर अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी।
जब निर्माण चल रहा था तब क्यों नहीं रोका
कोर्ट ने कहा कि डीएम ने सीओ को 20 एकड़ जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए अतिक्रमणवाद शुरू कर कार्रवाई करने का आदेश दिया था लेकिन सीधे घरों को तोड़ने की कार्रवाई की गई। किसी भी घर मालिक को व्यक्तिगत नोटिस तक नहीं दिया गया। यहां तक कि घरों से सामान निकालने का मौका तक नहीं दिया गया। घरों का निर्माण कार्य एक दिनों में नहीं किया गया होगा। जब निर्माण कार्य चल रहा था तो उसे क्यों नहीं रोका गया? बगैर मिलीभगत के निर्माण कार्य नहीं हुआ होगा।
मिलीभगत बिना निर्माण संभव नहीं
कोर्ट ने बुधवार की सुनवाई के दौरान बिहार राज्य आवास बोर्ड के कार्यकलापों पर तीखी टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि हाउसिंग बोर्ड के कार्यकलापों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके अधिकारियों और पुलिस की मिलीभगत के बिना कोई निर्माण कर ले यह संभव ही नहीं है।
निराला कोऑपरेटिव के अफसरों पर कार्रवाई करें
कोर्ट ने निराला कोऑपरेटिव के अफसरों पर कार्रवाई करने की बात कही। वहीं, राज्य सरकार और आवास बोर्ड की ओर से इस केस में जवाबी हलफनामा दायर किया गया। जबकि आवेदकों की ओर से जवाबी हलफनामा का जवाब देने के लिए समय देने की मांग कोर्ट से की। कोर्ट ने उनके अनुरोध को मंजूर करते हुए सुनवाई गुरुवार तक के लिए टाल दी।
दो घरों को छोड़ने पर हाईकोर्ट नाराज
कई वकीलों ने कोर्ट को बताया कि आखिर किस वजह से दो घरों को नहीं तोड़ा गया। उनका कहना था कि इस कार्रवाई के लिए तैनात मजिस्ट्रेट को वह घर दिखा ही नहीं। बाकी के लोगों का घर दिखा लेकिन सिर्फ दो घर नहीं दिखा। कोर्ट ने इस बात पर कड़ी नाराजगी जताई। कहा कि बिना व्यक्तिगत नोटिस दिए जिला प्रशासन ने कैसे कार्रवाई की?
योजना पर अमल नहीं
कोर्ट का कहना था कि सरकार इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए एक योजना लाई थी। इस योजना के तहत चार सौ एकड़ जमीनवालों को अनुग्रह राशि देनी थी लेकिन बोर्ड ने लोगों को अनुग्रह राशि नहीं दी। ना ही कोई कार्रवाई शुरू की।