उत्तर प्रदेश पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने फरार चल रहे अंतरराष्ट्रीय साइबर क्राइम गैंग से जुड़े दो चीनी नागरिकों जू जूंफू उर्फ जुलाही और पोंचली तेंगली उर्फ ली तेंग ली को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों रविवार को गौतमबुद्धनगर (नोएडा) से गिरफ्तार किए गए। उनकी बिजनेस वीजा अवधि पिछले साल ही समाप्त हो चुकी है। इस गैंग के 14 अभियुक्तों को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है।
प्रदेश के एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि दोनों वांछित चीनी अभियुक्तों के विरुद्ध रेड कॉर्नर नोटिस व ब्लू कॉर्नर नोटिस पूर्व में जारी करा दिया गया था। विवेचना में मिले साक्ष्यों के आधार पर इन दोनों चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया। जू जूंफू के बिजनेस वीजा की अवधि अगस्त 2020 में तथा ली तेंग ली के बिजनेस वीजा की अवधि सितंबर 2020 में समाप्त हो चुकी है। दोनों को कोर्ट के सामने पेश किया जा रहा है। नियमानुसार कस्टडी रिमांड लेकर दोनों से विस्तृत पूछताछ की जाएगी।
चीनी मूल का गुरुग्राम का एक होटल मालिक भी शामिल
एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि दोनों चीनी नागरिक दिल्ली के विभिन्न लोगों के माध्यम से प्री-ऐक्टिवेटेड सिम प्राप्त करते थे। प्री-ऐक्टिवेटेड सिम मुहैया कराने वाले अभियुक्तों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है। प्री-ऐक्टिवेटेड सिम गुरुग्राम (हरियाणा) स्थित एक होटल के चीनी मूल के मालिक (पति-पत्नी) के निर्देश पर होटल के चीनी मैनेजर को उपलब्ध कराए जाते थे। इनमें से एक चीन में रहते हैं, जिससे अभियुक्त वी-चैट के माध्यम से जुड़े थे। इस गैंग ने 150 भारतीय मोबाइल नंबरों पर वॉट्सऐप रजिस्ट्रेशन के लिए जेनरेटेड ओटीपी को वी-चैट के माध्यम से चीनी नागरिकों को शेयर किया था। अभियुक्तों को यह जानकारी नहीं है कि इन 150 भारतीय नंबरों से ऐक्टिवेटेड वॉट्ऐप कहां पर हैं और किसके द्वारा चलाए चा रहे हैं? आईजी एटीएस डॉ जीके गोस्वामी ने बताया कि होटल मैनेजर को अब तक लगभग एक हजार प्री-ऐक्टिवेटेड भारतीय मोबाइल सिम अभियुक्तों द्वारा उपलब्ध कराने की बात प्रकाश में आई है। इस संबंध में गहन विवेचना अभी चल रही है।
करोड़ों रुपये का संदिग्ध लेन-देन
यह गैंग फर्जी कागजातों के आधार पर प्री-ऐक्टिवेटेड सिमों के माध्यम से आनलाइन बैंक खाते खोलकर पैंसों पैसों का लेन-देन कर रहा था। इन बैंक खातों में अज्ञात स्रोतों से भारी मात्रा में धन जमा किया गया, जिसे प्री-ऐक्टिवेटेड मोबाइल नंबरों पर कार्ड-लेस मोड से एटीएम या अन्य माध्यमों से निकाला गया। इन खातों में अब तक करोड़ों रुपये जमा होने और निकाले जाने की जानकारी मिली है। प्री-ऐक्टिवेटेड मुहैया कराने वाले नौ अभियुक्तों को गत 17 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। बाद में और पांच अभियुक्तों को एटीएस की नोएडा यूनिट ने गिरफ्तार किया था। उसी समय से दोनों विदेशी अभियुक्तों की तलाश की जा रही थी। इस गिरोह का सरगना प्रेम सिंह था, जो सभी डिस्ट्रीब्यूटरों-रिटेलरों से प्री-ऐक्टिवेटेड सिम लेकर दिल्ली में विभिन्न लोगों को बेचता था। जुलाई 2020 से जनवरी 2021 के बीच उसने लगभग 1500 प्री-ऐक्टिवेटेड सिम दिल्ली के लोगों को दिए थे। इन सिमों से अभियुक्तों ने विभिन्न बैंकों में खाते खोलकर अज्ञात स्रोतों से धनराशि स्थानान्तरित कराई।