कर्ता को क्या कर्म जंचा है,
पृथ्वी पर कोहराम मचा है।
अदृश्य सूक्ष्म सा ये बोना,
नाम धरा है इसका कोरोना,
किस बेरी ने खेल रचा है,
पृथ्वी पर कोहराम मचा है।
अमीर गरीब राजा के बेटे,
करे भेद ना सबको लपेटे,
एकांकी जो वो ही बचा है,
पृथ्वी पर कोहराम मचा है।
सांसों अंदर डाले फंदा,
बन्द हुआ पिंजरे में बन्दा,
चमगादड़ ये कहां पचा है,
पृथ्वी पर कोहराम मचा है।
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नफे सिंह कादयान