अनछुई हरी भरी प्रकृति के बीच,
हमने अपनी आंख खोली थी,
तो स्वच्छ हवा ने सांसो की सौगात दी,
जीवन की शुरुआत में अक्षत अनवरत,
हवा ने ही रक्त संचार को गति दी,
और जीवन अपना कुलबुलाया,
मगर ज्यों-ज्यों बढ़ा कुनबा अपना
खेत बढ़े, हुई सड़कें चौड़ी,
वाहनों की बाढ़ आई,
प्रगति की पहिए ने गति पकड़ी
और मौत शुद्ध हवा की हुई…..
विकास तिवारी