दिन को यूं गुजारकर क्या करना, किसी को सुधारकर क्या करना! जो मान जाये बात तो बेहतर है, दबाव किसी...
Read moreहे कमलनयन दशरथनन्दन है जगतनियन्ता रघुनाथ, आया हूँ मैं शरण तुम्हारी अब न छोड़ो मेरा हाथ; सदा कल्याण करो सभी...
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