ग़ज़ल/रंजन ज़ैदी
रेशम के बदन को नहलाकर मैं आग से बातें कर लूँगा,तुम अपनी हथेली मत खुरचो, दकदीर बनाकर देखेंगे.__________________________ जल्दी न...
Read moreरेशम के बदन को नहलाकर मैं आग से बातें कर लूँगा,तुम अपनी हथेली मत खुरचो, दकदीर बनाकर देखेंगे.__________________________ जल्दी न...
Read moreअखंड है वसुंधरा, अखंड आसमान है, रूकूँ नही थकूँ नहीं मैं, जब तलक ये प्राण हैं ह्रदय में एक गान...
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