कौआ कान ले गया
दिलीप कुमार "हुजूर ,आरिजो रुख्सार क्या तमाम बदनमेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए ,गलत कहूँ तो मेरी आकबत बिगड़ती...
Read moreदिलीप कुमार "हुजूर ,आरिजो रुख्सार क्या तमाम बदनमेरी सुनो तो मुजस्सिम गुलाब हो जाए ,गलत कहूँ तो मेरी आकबत बिगड़ती...
Read moreये कौन दस्तक दे रहा है? उस बंद दरवाजे पर जहां कैद कर रखी हैं मैंने कई अनसुलझी गुत्थियाँ जहां...
Read moreदिलीप कुमार "खुदा करे इन हसीनों के अब्बा हमें माफ़ कर दें,हमारे वास्ते या खुदा , मैदान साफ़ कर दें...
Read moreदिलीप कुमार फ़ाका मस्ती ही हम गरीबों कीविमल देखभाल करती हैएक सर्कस लगा है भारत मेंजिसमें कुर्सी कमाल करती है...
Read moreCopyright © 2020 Janlokindiatimes.com | This is Owned By Janlok India Times