suraj singh

suraj singh

सुधेन्दु ओझा स्नेह का सागर अनन्तिमप्रेम हो सौहार्द्य होकातर धरा पर गूँजता सातुम मनोहर काव्य हो दान कर हमें ज्ञान...

तो समझो बसंत है

कोयल भोर उगने से पहलेकोयलद्वार परसाँकल बजायेआम का एकाकी पेड़बतियाने लगे.. अपनी ही देह सेदेने लगेमंजरियों के पुष्प-गुच्छबिना मोलसरसों के...

अष्टभुजा

अष्टभुजा नारी आज अष्टभुजा हैदो हाथों सेआफिस का काम करती हैदो से रसोई काबच्चों की देखभाल भीउसी के दो हाथ...

होलिका

होलिका और जल उठी होलिकाधू धू कर केभाई की जिद के आगे !उस का तो कोई बैर नहीं थाविष्णु से...

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