पटना के टॉप 20 बदमाशों में शामिल रवि गोप को रिहा करने के मामले में जल्दबाजी दिखाना फुलवारी मंडल कारा के उपाधीक्षक को भारी पड़ा। जांच रिपोर्ट के आधार पर आईजी कारा एवं सुधार सेवाएं मिथिलेश मिश्रा ने उन्हें निलंबित कर दिया है। उपाधीक्षक पर जेल गेट की व्यवस्था को दुरुस्त नहीं रखने के भी आरोप थे।
आईजी कारा एवं सुधार सेवाएं मिथिलेश मिश्रा ने बताया कि उपाधीक्षक अरविंद कुमार पर कई गंभीर आरोप लगे थे। अपराधी रवि गोप को उन्होंने बाकी कैदियों के मुकाबले पहले रिहा कर दिया था। जांच रिपोर्ट के मुताबिक उस दिन अन्य कैदियों को जिस समय पर रिहा किया गया उससे पहले रवि गोप को उन्होंने छोड़ दिया। यह एक गंभीर मामला है। इसके अलावा फुलवारी मंडल कारा के गेट पर काफी अव्यवस्था फैली थी। जांच रिपोर्ट में वहां की व्यवस्था संतोषजनक नहीं पाई गई। इन्हीं आरोपों में उपाधीक्षक अरविंद कुमार को निलंबित कर दिया गया है।
शादी के मंडप से हुआ था गिरफ्तार
दीघा के रहने वाले रवि गोप पर 50 हजार का इनाम घोषित किया गया था। एसटीएफ और पुलिस की टीम ने उसे अथमलगोला इलाके से उस वक्त पकड़ा, जब वह अपनी प्रेमिका से शादी करने जा रहा था। 50 से अधिक अत्याधुनिक हथियारों से लैस स्पेशल टास्क फोर्स के जवानों ने पूरे इलाके को घेरकर रवि को गिरफ्तार किया था। इस दौरान उसने भागने की कोशिश की लेकिन खदेड़कर जवानों ने उसे पकड़ लिया।
जेल से रिहा होने के बाद भाग गया नेपाल
50 हजार के इनामी कुख्यात रवि गोप के जमानत पर छूटने और फिर नेपाल फरार होने के मामले में पटना पुलिस और जेल प्रशासन में ठन गई थी। इस पूरे प्रकरण में जहां पुलिस के आला अधिकारी जेल प्रशासन पर सवाल खड़ी कर रहे थे। वहीं जेल प्रशासन कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए रवि गोप को नियमानुसार रिहा करने की बात कह रहा था। ऐसे में पुलिस की ओर से इस पूरे प्रकरण में गृह विभाग को पत्र लिखने का निर्णय लिया। पुलिस का कहना था कि पत्र के जरिये जेल प्रशासन द्वारा पटना पुलिस की बात को अनसुनी करने के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी।
दिल्ली व नोएडा में है करोड़ों की भूमि
सूत्रों की मानें तो फरारी के दो साल में रवि गोप ने दिल्ली और नोएडा में करोड़ों की भूमि अर्जित की। पटना के दीघा के साथ ही अन्य इलाकों में भी उसने कई प्लॉट लिये हैं। दीघा के रामजीचक में उसका सिक्का व आतंक चलता रहा है। उसके आतंक के चलते कोई खुलकर सामने नहीं आता। यही वजह रही रंगदारी मांगने के मामले में पीड़ित को उससे समझौता करना पड़ा।