प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीमों ने बुधवार को प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति के लखनऊ, अमेठी व कानपुर स्थित उनके और उनके करीबियों के सात ठिकानों पर ताबड़तोड़ छापे मारे। ईडी ने कानपुर में उनके चार्टर्ड एकाउंटेंट (सीए) के ठिकाने पर छापा मारकर तलाशी ली। छापों में 80 संपत्तियों के दस्तावेज बरामद हुए हैं। साथ ही उनके लखनऊ स्थित ऑफिस से 11 लाख रुपये के पुराने नोट भी बरामद हुए हैं।
ईडी ने लखनऊ में बिजनौर रोड स्थित गायत्री के बेटे की कंपनी के आफिस, हैवेलक रोड स्थित गायत्री के आवास, अमेठी स्थित गायत्री और उनके एक करीबी के आवास पर छापा मारा। इन ठिकानों पर जांच की कार्रवाई देर रात तक जारी रही। गायत्री के के आफिस से 1.5 लाख रुपये नकद बरामद हुआ, जबकि 11 लाख रुपये के पुराने प्रतिबंधित किए जा चुके नोट भी बरामद हुए। अनिल ने काला धन सफेद करने की नीयत से कई मुखौटा कंपनियां बनाई थीं। इसी तरह अमेठी स्थित गायत्री के घर पर भी ईडी ने छापा मारा। साथ ही गायत्री के बेहद करीबी रहे उनके एक ड्राइवर के ठिकाने की भी तलाशी ली गई। इस ड्राइवर के नाम पर करोड़ों की बेनामी संपत्तियां खरीदी गई हैं।
ईडी की जांच में सामने आया है कि गायत्री ने अपने कई ऐसे करीबियों के नाम पर संपत्तियां खरीदी हैं, जिनकी खुद की माली हालत बेहद खराब है। वे गायत्री के यहां ड्राइवर या घरेलू नौकर के रूप में काम कर रहे थे। ईडी इससे पहले गायत्री प्रजापति और उनके बेटों के अलावा कई ऐसे लोगों से पूछताछ कर चुकी है, जिनके नाम पर संमत्तियों का लेन-देन हुआ है।
गायत्री प्रजापति वैसे तो रेप के एक मामले में जेल में हैं लेकिन वह खनन घोटाले समेत कई अन्य आपराधिक मुकदमों में भी नामजद हैं। खनन घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है। सीबीआई भी उनसे लंबी पूछताछ कर चुकी है। सीबीआई के मुकदमे को ही आधार बनाकर ईडी ने प्रिवेंशन आफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था।
वर्ष 2017 से जेल में हैं प्रजापति
गायत्री प्रजापति रेप से संबंधित एक मुकदमे में मार्च 2017 से ही जेल में हैं। पिछले दिनों उन्हें हाईकोर्ट से जमानत मिली थी, जो बाद में सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई थी। इस बीच उनके एक पूर्व मैनेजर बृज भवन चौबे ने भी उन पर लखनऊ में ही एक मुकदमा दर्ज कराया। इसमें गायत्री पर जान से मारने की धमकी देने और जबरन संपत्तियां हड़पने का आरोप है। बृज भवन ने ईडी से भी उनकी शिकायत की थी। उन्होंने ईडी को गायत्री की बेनामी संपत्तियों की जानकारी भी दी थी।