जल्दी में तैयार हुए कोरोना टीकों पर भले ही संशय अभी बरकरार हो, लेकिन दुनिया को कोविड-19 का पहला टीका देने वाली फाइजर की वैज्ञानिक कैथरीन जॉनसन अब दूसरी जानलेवा बीमारियों के टीके खोजने में जुट गई हैं। कैथरीन ने रिकार्ड 210 दिन में नई एमआरएनए तकनीक से टीका तैयार किया है। दो दिसंबर को ब्रिटेन में मंजूरी हासिल करने वाला यह पहला टीका बना।
नेचर जर्नल ने 2020 में विज्ञान को साकार बनाने वाले दस वैज्ञानिकों में कैथरीन को शामिल किया है। रिपोर्ट में कैथरीन के साथ इस प्रोजेक्ट पर कार्य करने वाले बायोनेट के मुख्य कार्यकारी उगर साहिन की टिप्पणी भी है। साहिन ने कहा कि पूरे प्रोजेक्ट के दौरान कैथरीन ने आंकड़ों पर भरोसा किया।वे कहते हैं, ‘नवंबर के पहले सप्ताह में रविवार का दिन था। टीके के तीसरे चरण के परीक्षण पूरे हो चुके थे। उन्होंने पूछा कि डाटा क्या कहता है? अगले दिन उन्हें बताया गया कि टीके की प्रभावकारिता 90 फीसदी है। उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने अपने पति के साथ एक गिलास शैंपेन ली। अगले दिन वह फिर सेकाम पर जुट गईं, जिसे वह पिछले 30 सालों से कर रही थीं। एक और जानलेवा बीमारी का टीका बनाने का काम।’
एमआरएनए तकनीक को आगे बढ़ाने का लिया फैसला:
फाइजर का टीका दुनिया में कोरोना के खिलाफ विकसित पहला टीका तो है ही, एमआरएनए तकनीक से बना भी पहला टीका है। एमआरएनए टीकों पर शोध चल रहे थे लेकिन टीके बनाने की मंजूरी किसी कंपनी को नहीं मिली थी। खुद फाइजर को भी नहीं। लेकिन जब मार्च में कोरोना से मौतें बढ़ने लगीं, तो उन्होंने इस तकनीक पर आगे बढ़ने का फैसला लिया। कैथरीन फाइजर में वैक्सीन रिसर्च एंड डेवलपमेंट की हेड हैं और न्यूयार्क सिटी के एक फ्लैट से उन्होंने 650 वैज्ञानिकों की टीम से समन्वय किया। उन्होंने अप्रैल में टीका बनाने का कार्य शुरू किया और नवंबर में तीसरे चरण के परीक्षण पूरे किए।
एचपीवी समेत कई टीके बनाने में निभाई अहम भूमिका:
कैथरीन इससे पूर्व मर्क में रह चुकी हैं, जहां उन्होंने ह्यूमन पैपीलोमा वायरस (यानी) एचपीवी का टीका ईजाद किया। यह महिलाओं में आम होने गर्भाश्य कैंसर के लिए जिम्मेदार है। तब भी उनके सहयोगियों का विचार था कि यह समय की बर्बादी है। इससे पूर्व वैक्सजेन कंपनी में रहते हुए उन्होंने एंथ्रेक्स और स्माल पाक्स के टीके बनाने में अहम भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने व्येथ कंपनी ज्वाइन की जो फाइजर में मर्ज हुई। फाइजर में उन्होंने निमोनिया के टीके को प्रभावी बनाया। निमोनिया का जो टीका पहले सात किस्म के बैक्टीरिया के खिलाफ काम करता था, वह अब 13 बैक्टीरिया के खिलाफ असरदार है।