राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बृहस्पतिवार को कहा कि केन्द्र सरकार को नए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इन कानूनों में 15-18 संशोधन करने को तैयार हैं तो उसे स्वीकार करना चाहिए कि ये कानून ही गलत है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पायलट ने कहा कि केंद्र सरकार को जिद छोड़कर इन कानूनों को वापस लेना चाहिए। उन्होंने पाली में संवाददाताओं से कहा, ”इन कानूनों को लेकर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। केन्द्र सरकार को तुरंत प्रभाव से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए। सरकार को अपनी जिद छोड़कर जबरदस्ती पारित किए गए इन कानूनों से पीछे हटना चाहिए।”
उन्होंने कहा, ”किसान जो देश की रीढ़ हैं, वे अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं और किसान चाहता है कि केन्द्र सरकार सारी बातें छोड़कर वार्ता करें और तुरंत प्रभाव से तीनों कृषि कानून वापस लें। किसान चाहते हैं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) का प्रावधान जोड़ा जाए क्योंकि सबसे ज्यादा मेहनतकश कोई वर्ग इस देश में है तो वह किसान वर्ग है। उसकी अनदेखी हो रही है और जानबूझकर उसके भविष्य को अंधकार में धकेला जा रहा है।”
प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों के सवाल पर पायलट ने कहा, ”दिसम्बर में कांग्रेस की प्रदेश कार्यकारिणी का गठन होगा और जनवरी में राजनीतिक नियुक्तियों का काम होगा और हम सब का एक ही उद्देश्य है कि संगठन और कांग्रेस की सरकार लोगों के वादों पर खरा उतरे और उस दिशा में हम सब मिलकर काम कर रहे हैं।”
सरकार ने किसान यूनियनों को वार्ता के लिए फिर आमंत्रित किया
दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों को वार्ता के लिए बृहस्पतिवार को फिर आमंत्रित किया, लेकिन स्पष्ट किया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित ऐसी किसी भी नई मांग को एजेंडे में शामिल करना ”तार्किक” नहीं होगा जो नए कृषि कानूनों के दायरे से परे हो। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने 40 किसान नेताओं को लिखे तीन पन्नों के पत्र में कहा, ”मैं आपसे फिर आग्रह करता हूं कि प्रदर्शन को समाप्त कराने के लिए सरकार सभी मुद्दों पर खुले मन से और अच्छे इरादे से चर्चा करती रही है तथा ऐसा करती रहेगी। कृपया (अगले दौर की वार्ता के लिए) तारीख और समय बताएं।”