नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन को आज एक महीना पूरा हो गया है, लेकिन किसानों और सरकार के बीच गतिरोध अब भी बरकरार है। हालांकि, सरकार ने एक बार फिर किसानों को चिट्ठी लिखकर वार्ता के लिए आमंत्रित किया है, लेकिन वार्ता से पहले तीनों कानूनों को रद्द किए जाने की मांग पर अड़े किसान इस मुद्दे पर सरकार के साथ आर-पार की लड़ाई का ऐलान कर चुके हैं। किसानों ने सरकार से जल्द उनकी मांगें मानने की अपील की है। ज्ञात हो कि केन्द्र सरकार सितम्बर में पारित किए तीन नए कृषि कानूनों को कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रही है, वहीं प्रदर्शन कर रहे किसानों ने आशंका जताई है कि नए कानूनों से एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी और वे बड़े कॉरपोरेट पर निर्भर हो जाएंगे।
बता दें कि किसान हाल ही बनाए गए तीन नए कृषि कानूनों – द प्रोड्यूसर्स ट्रेड एंड कॉमर्स (प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन) एक्ट, 2020, द फार्मर्स ( एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्योरेंस एंड फार्म सर्विसेज एक्ट, 2020 और द एसेंशियल कमोडिटीज (एमेंडमेंट) एक्ट, 2020 का विरोध कर रहे हैं। दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किसानों के लिए तीन कानून बनाए गए हैं, लेकिन आज कुछ लोगों के द्वारा गलतफहमी पैदा की जा रही है कि MSP खत्म कर दी जाएगी। मैं किसानों को वचन दे रहा हूं कि किसी भी कीमत पर MSP खत्म नहीं होगी।
नोएडा : भारतीय किसान यूनियन के नेता राजवीर सिंह जादौन ने कहा कि हम अटल जी की जयंती पर बहुत आशावान हैं कि प्रधानमंत्री कुछ ऐसा कहेंगे जिससे हमारी समस्याओं का समाधान होगा और हमें इन कानूनों से मुक्ति मिलेगी और इनकी जगह पर किसानों से वार्ता करके मजबूत कानून आएंगे और हमें MSP पर कानून मिले।
– दिल्ली : आम आदमी पार्टी सरकार में मंत्री गोपाल राय ने कहा कि कृषि कानूनों को बनाने से पहले सरकार ने कोई मंथन नहीं किया, जितना इस आंदोलन के बाद आज किया। संसद का विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए और कानून वापस लेने चाहिए। किसान, विपक्ष और विशेषज्ञों के साथ बात कर नए सिरे से कानून लाकर किसान और देश का हित किया जाए।