देश में वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर होने वाले प्रभावों की चर्चा तो खूब होती है, लेकिन इससे होने वाले आर्थिक नुकसान और भी भयावह हैं। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने हाल में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वायु प्रदूषण के चलते उत्तरी और मध्य भारतीय राज्य भारी आर्थिक क्षति उठा रहे हैं। इनमें उत्तर प्रदेश और बिहार सर्वाधिक प्रभावित हैं।
लांसेट प्लेनेटरी हेल्थ में प्रकाशित रिपोर्ट ‘इंडिया स्टेट लेवल डिजीज वर्डन इनीसियेटिव’ के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण देश को कुल सकल घरेलू उत्पाद के 1.4 फीसदी के बराबर की क्षति हो रही है। लेकिन यदि राज्यों की स्थिति पर नजर डालें तो उत्तर प्रदेश एवं बिहार जैसे राज्य भारी क्षति का सामना कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश की जीडीपी का 2.15 फीसदी के बराबर की क्षति वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों, बीमारियों तथा उत्पादकता में कमी के कारण होती है। इस राशि को यदि रुपयों में बदला जाए तो 36 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की क्षति अकेले उत्तर प्रदेश को साल भर में होती है।
रिपोर्ट के अनुसार, बिहार इस मामले में दूसरे नंबर पर है। बिहार की जीडीपी का 1.95 फीसदी के बराबर की क्षति वायु प्रदूषण के चलते होती है। यह राशि 11 हजार करोड़ रुपये से भी अधिक की होती है। जबकि तीसरे नंबर पर राजस्थान एवं मध्य प्रदेश हैं जिनकी जीडीपी का करीब 1.70 फीसदी प्रदूषण की भेंट चढ़ जाता है। रुपयों में यह क्षति क्रमश 16 और 14 हजार करोड़ के करीब बैठती है।
प्रति व्यक्ति क्षति के मामले में दिल्ली सबसे आगे :
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदूषण के कारण प्रति व्यक्ति क्षति के मामले में दिल्ली सबसे आगे है। दिल्ली में प्रति व्यक्ति सालाना क्षति 62 डॉलर आंकी गई है जो करीब साढ़े चार हजार रुपये के करीब है। जबकि हरियाणा इस मामले में दूसरे नंबर है जहां प्रति व्यक्ति क्षति 53.8 डालर यानी करी 3850 रुपये के करीब है। अध्ययन में 2018-19 की जीडीपी के आंकड़ों को आधार बनाया गया है।
प्रदूषण पर नियंत्रण बेहद जरूरी:
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने 2024 तक पांच खरब की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य रखा है। लेकिन यह प्रदूषण पर नियंत्रण करने से ही संभव होगा। इसके लिए विशिष्ट प्रयास एवं तकनीकों का इस्तेमाल करना होगा। रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण के 2019 में देश में प्रदूषण के चलते 28799 समयपूर्व मौतें हुई। इनमें सबसे ज्यादा उत्तर प्रदेश में 4255 मौतें, महाराष्ट्र मे 3003, गुजरात में 2288 मौतें शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार बिहार में 1257 समयपूर्व मौतें, मध्य प्रदेश में 1614, पश्चिम बंगाल में 1607 तथा राजस्थान में 1909 मौतें दर्ज की गई हैं