भारत के खिलाफ अक्सर साजिश रचने वाले पाकिस्तान को कहां पता था कि उसका सदाबहार दोस्त चीन भी उसे मुश्किल हालात में झटका देगा। जिस चीन के बल पर पाकिस्तान कूदता है, उसी ने उसके हंसी सपने को झटका दिया है और अब कर्ज के लिए शर्तें रखनी शुरू कर दी है। दरअसल, चीन ने पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति के मद्देनजर मेन लाइन, रेलवे लाइन परियोजना के लिए छह अरब डॉलर कर्ज को मंजूरी देने के पहले उससे अतिरिक्त गारंटी की मांग की है। मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि चीन ने रेल परियोजना को वित्तीय राशि मुहैया कराने के लिए वाणिज्यिक और रियायती, दोनों तरह का कर्ज देने का प्रस्ताव रखा है।
10 दिन पहले मेन लाइन रेलवे परियोजना के लिए संयुक्त वित्तीय कमेटी की बैठक में अतिरिक्त गारंटी का मुद्दा उठा। बैठक में शामिल रहे पाकिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चीन ने वार्ता के दौरान अतिरिक्त गारंटी के मुद्दे उठाए लेकिन पाकिस्तान के साथ साझा किए गए दस्तावेज में इसे शामिल नहीं किया गया। दोनों देशों ने कागजातों पर अब तक दस्तखत नहीं किए हैं।
अधिकारी ने बताया कि पाकिस्तान ने जी-20 देशों से कर्ज राहत के लिए आवेदन किया है। इस कारण से चीन ने अतिरिक्त गारंटी के मुद्दे उठाए हैं। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि वित्तीय मुद्दों पर बातचीत के तीसरे चरण में परियोजना के लिए छह अरब डॉलर के कर्ज को लेकर और स्थिति स्पष्ट की गई। जी-20 देशों से कर्ज राहत के तहत, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक के प्रारूप के मुताबिक पूर्व की मंजूरी के अलावा, ऊंची दरों पर वाणिज्यिक कर्ज नहीं ले सकता।
इस साल, अगस्त में राष्ट्रीय आर्थिक परिषद की कार्यकारी समिति (ईसीएनईसी) ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण 6.8 अरब डॉलर की लागत से बनने वाली मेन लाइन, एक परियोजना को मंजूरी दी थी। ईसीएनईसी की बैठक महज 20 मिनट तक चल पाई और वित्तीय और तकनीकी मुद्दे नहीं सुलझ पाए। सूत्रों ने कहा है कि पाकिस्तान छह अरब डॉलर की रकम पर एक प्रतिशत ब्याज दर पर हासिल करना चाहता है जबकि चीन ने वाणिज्यिक और रियायती, दोनों श्रेणियों के तहत कर्ज देने की पेशकश की है।