विकास दुबे के कारण बहुचर्चित बिकरू कांड की एसआईटी जांच में शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा और एसपी ग्रामीण को भी दोषी ठहराया गया हैं। हालांकि शहीद सीओ के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति नहीं की है। रिपोर्ट के आधार पर एसपी ग्रामीण बृजेश श्रीवास्तव को स्पष्टीकरण देना पड़ा है।
आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के बाद शासन ने मामले की एसआईटी जांच कराई थी। टीम ने कई पुलिस-प्रशासनिक अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की थी। जांच रिपोर्ट के मुताबिक देवेंद्र मिश्रा को इस बात का दोषी माना गया कि उन्होंने लंबे समय तक बिल्हौर सर्किल का चार्ज संभाला। उन्हें हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के बारे में अच्छी तरह से जानकारी थी। इसके बावजूद 2 जुलाई की रात जब पुलिस उनके नेतृत्व में दबिश देने बिकरू गई तब भी उन्होंने ठीक से ब्रीफिंग नहीं की। दबिश में जाने के दौरान उन्होंने कोई तैयारी भी नहीं की। एसआईटी ने आखिर की एक लाइन में लिखा है कि घटना में सीओ शहीद हो चुके हैं, लिहाजा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं बनती।
हेलमेट बॉडी प्रोटेक्टर को लेकर एसपी दोषी
एसपी ग्रामीण बृजेश श्रीवास्तव ने घटना से दो- तीन पूर्व ही ज्वाइन किया था। इसके बाद भी एसआईटी ने उन्हें दोषी ठहराया है। एसपी पर आरोप है कि उन्होंने बॉडी प्रोटेक्टर, बुलेटप्रूफ जैकेट, हेलमेट आदि उपकरणों की व्यवस्था की जांच नहीं की। यदि टीम दबिश देने जा रही थी तो इंतजाम क्यों चेक नहीं कराए। इस पर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है।
आईजी रेंज मोहित अग्रवाल के अनुसार शहीद सीओ और एसपी ग्रामीण को एसआईटी ने जांच में दोषी पाया है। एसपी ग्रामीण का स्पष्टीकरण भिजवा दिया गया था। उन्होंने घटना से कुछ दिन पहले ही ज्वाइन किया था। इसके अलावा शासन से मांगी गईं अन्य सूचनाएं ओर दस्तावेज भेज दिए गए हैं।