हाथरस के चर्चित गैंगरेप केस में सीबीआई की कोर्ट में दाखिल चार्जशीट बताती है कि लड़की के लगाए गए आरोप सही है। पीड़िता के 22 सितंबर को दिए गए आखिरी बयान सबसे महत्वपूर्ण रहा। इसके अलावा अलीगढ़ जेल में बंद चारो आरोपियों के कराए गए ब्रेन मैपिंग और पालिग्राफिक टेस्ट ने भी जांच में अहम भूमिका निभाई।
बीती 22 सितंबर को लड़की के एएमयू ट्रामा सेंटर में दिया गया बयान पूरे केस की रीढ़ बनी है। इस बयान में पीड़िता ने चारों आरोपियों पर रेप करने और शारीरिक हिंसा करने का आरोप लगाया था। इसी बयान के बाद हाथरस पुलिस ने चारों के खिलाफ गैंगरेप की संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया था। बीती 30 सितंबर को लड़की की मौत के बाद हत्या की धाराएं भी केस में जुड़ गई थी। सीबीआई को मामला ट्रांसफर होने के बाद गाजियाबाद सीबीआई कोर्ट में जांच एजेंसी ने इन्ही धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। अपनी 69 दिनों की जांच पड़ताल के बाद जब शुक्रवार को सीबीआई ने उक्त संगीन धाराओं के तहत ही चार्जशीट दाखिल की स्थिति काफी हद तक साफ हो गई है। सीबीआई ने अलीगढ़ जेल बंद चारों आरोपियों के गुजरात लेकर ब्रैन मैपिंग और पाोलीग्राफिक टेस्ट भी कराए थे। माना जा रहा है कि इन टेस्टों में भी सीबीआई के हाथ पुख्ता सुबूत लगे होंगे। जांच के दौरान सीबीआई ने आरोपियों के घर से कई वस्तुएं आदि भी बरामद की थी। कुल मिलाकर सीबीआई की जांच ने साफ कर दिया है कि हाथरस की बेटी के साथ हैवानियत हुई थी। पूरा मामला तो कोर्ट में सुनवाई की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही सामने आएगा, लेकिन एक बात साफ है कि अब बिटिया के परिजनों में इंसाफ की आस जरूर जग गई है।
बहन की कमी कितना परेशान कर रही, हम जानते हैं : पीड़िता की भाभी
पीड़िता की भाभी भी शुक्रवार को कोर्ट पहुंची थीं। यहां उन्होंने बातचीत में कहा कि बहन की कमी उनके परिवार को कितनी परेशान करती है, ये वे लोग ही जानते हैं। एक बार फिर उन्होंने हाथरस के डीएम के ट्रांसफर की मांग उठाई। कहा कि चार्ज शीट फाइल हो रही थी इसलिए वह यहां आईं हैं। सीबीआई जांच पर मृतका की भाभी ने भी संतुष्टि जताई। कहा जो भी हो रहा सही हो रहा है।
जाने क्या है पूार मामला:
बूलगढ़ी में 14 सितंबर को एक दलित युवती के साथ गैंगरेप और शारीरिक हिंसा की वारदात हुई। पीड़िता के भाई की तहरीर के आधार पर पुलिस ने गांव के ही संदीप ठाकुर के खिलाफ जानलेवा हमला और छेड़छाड़ की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान पीड़िता ने अपने बयान में सामूहिक दुष्कर्म की बात कही। पीड़िता के उसी बयान के आधार पर पुलिस ने संदीप, रवि, लवकुश और रामू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। 29 सितम्बर को दिल्ली में पीड़िता की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। रात को गांव में उसका अंतिम संस्कार हुआ। उसे लेकर खूब बवाल हुआ था। परिजनों ने पुलिस पर जबरन अंतिम संस्कार कराने का आरोप लगाया। इसी मामले को लेकर एसपी, सीओ सहित पांच पुलिस कर्मी निलंबित हुए थे। प्रदेश सरकार ने इस बहुचर्चित मामले की जांच के लिए पहले एसआईटी गठित की। एसआईटी ने 17 दिन जांच की। इसी बीच मामले की जांच सीबीआई को ट्रांसफर हो गई।
डिप्टी एसपी के नेतृत्व में हुई जांच :
शुक्रवार दोपहर करीब एक बजे सीबीआई की डिप्टी एसपी सीमा पाहुजा अपनी टीम के दस सदस्यों के साथ विशेष न्यायाधीश एससीएसटी कोर्ट पहुंचे और जज बीडी भारती से मुलाकात की। टीम ने आरोप-पत्र अदालत में पेश किया। सीबीआई ने चारों आरोपियों को अपनी जांच में दोषी मानते हुए उनके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है। इसमें गैगरेप, हत्या और दलित उत्पीड़न की धाराएं शामिल हैं। हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि गैंगरेप और हत्या जैसे संगीन मामले में चार में से कौन-कौन आरोपी हैं। करीब सवा चार बजे सीबीआई आरोप पत्र दाखिल करने के बाद कोर्ट से रवाना हो गई।