उच्च न्यायालय में मंगलवार को केंद्र व दिल्ली सरकार से मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम-2019 के तहत यातायात चालान जारी करने की मौजूदा प्रणाली को मनमाना और दोषपूर्ण बताने वाली याचिका में उठाए गए पहलुओं पर विचार करने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने सरकार को याचिका को बतौर प्रतिवेदन स्वीकार करने और समुचित निर्णय लेने को कहा है।
मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायूमर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने अधिवक्ता सोनाली करवासरा की याचिका का निपटारा करते हुए यह निर्देश दिया है। पीठ ने याचिकाकर्ता से भी कहा कि वह अपनी बात पहले सरकार के समक्ष रखे। याचिका में यातायात चालान जारी करने की मौजूदा प्रणाली को मनमाना और दोषपूर्ण बताया गया है। करवासरा ने याचिका में कहा था कि बिना उचित व विश्वस्त प्रौद्योगिकी के चालान जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने पीठ को बताया कि यातायात नियमों के उल्लंघन की निगरानी के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रौद्योगिकी के मानकीकरण की आवश्यकता है।करवासरा ने न्यायालय को बताया कि यातायात नियम तोड़ने वालों का पता लगाने के लिए अधिकारियों द्वारा उपयोग की जाने वाली अप्रचलित और पुरानी तकीनीकों के कारण कानून को कुशलतापूर्वक लागू करने में कई रोड़े हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस तरह के कई उदाहरण हैं, जिसमें खराब उपकरण की वजह से पहले भारी जुर्माना लगाया गया और बाद में उसे रद्द किया गया। याचिका में दावा किया गया था कि एनएच-24 पर यातायात विभाग द्वारा अगस्त से 10 अक्तूबर 2019 के बीच तेज गति से वाहन चलाने पर किए 1 लाख 57 हजार से अधिक वाहनों को तय गति से अधिक रफ्तार से चलाने को लेकर चालान किया गया। लेकिन, बाद में उसे वापस ले लिया गया।