अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए अफगान तालिबान के प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर ने अपनी मौत से पहले पाकिस्तान में एक फर्जी पहचान का इस्तेमाल करके एक जीवन बीमा पॉलिसी खरीदी थी और उसके प्रीमियम के रूप में तीन लाख रुपए का भुगतान किया था। मंसूर 21 मई, 2016 को पाकिस्तान-ईरान सीमा के निकट हुए अमेरिकी ड्रोन के हमले में मारा गया था। वह जुलाई 2015 में अफगान-तालिबान का प्रमुख बना था।
मंसूर और उसके भगौड़े साथियों के खिलाफ शनिवार को हुई आतंकवाद को वित्तीय मदद देने के एक मामले की सुनवाई के दौरान बीमा पॉलिसी के बारे में जानकारी मिली। ‘डॉन’ समाचार पत्र ने बताया कि संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) ने मंसूर और उसके साथियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। बीमा कंपनी ने मामले की सुनवाई के दौरान कराची में आतंकवाद रोधी अदालत (एटीसी) को यह जानकारी मुहैया कराई।
जांच के दौरान पता चला कि मंसूर और उसके साथी ‘फर्जी पहचानों” के आधार पर संपत्तियां खरीदकर आतंकवादी गतिविधियों के लिए धन एकत्र करने में मदद करते थे। उसने कराची में तीन करोड़ 20 लाख रुपए की कीमत के भूखंडों और मकानों समेत पांच सम्पत्तियां भी खरीदी थीं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच में यह सामने आया कि मंसूर ने 21 मई, 2016 को ड्रोन हमले में मारे जाने से पहले एक फर्जी पहचान का इस्तेमाल करके ”जीवन बीमा पॉलिसी” खरीदी थी और कंपनी को तीन लाख रुपए दिए थे।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि बीमा कंपनी ने मंसूर से प्राप्त मुख्य राशि लौटाने की इच्छा जाहिर करते हुए जांचकर्ताओं को अदालत में जमा करने के लिए तीन लाख रुपए का चैक दिया था ताकि इस राशि को सरकारी कोष में जमा कराया जा सके। उन्होंने कहा, ”हालांकि जांचकर्ताओं ने चैक लौटा दिया और कंपनी से मुख्य राशि के साथ प्रीमियम भी देने को कहा ताकि पूरी रकम सरकारी कोष में जमा की जा सके।”
बीमा कंपनी ने शनिवार को अदालत में साढ़े तीन लाख रुपए का चैक जमा कराया। अदालत के आदेश पर मंसूर की कराची में संपत्तियों की भी नीलामी की गई। अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पाकिस्तान के बलूचिस्तान में अमेरिकी ड्रोन हमले में 2016 में मंसूर के मारे जाने की पुष्टि की थी।