कृषि कानूनों को लेकर सरकार के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के आंदोलन का 20वां दिन है। सरकार की तरफ से साफ कर दिया गया है कि कानून वापस नहीं होगा लेकिन संशोधन संभव है। वहीं इसको लेकर किसान संगठन आज बैठक करने वाले हैं। किसान महापंचायत जैसिंघपुर-खेरा बॉर्डर के रामपाल जाट ने कहा- ये तीन कृषि कानून व्यापारियों के लिए फायदेमंद है न कि किसानों के लिए। इस बीच दिल्ली के सिंघू बॉर्डर (दिल्ली-हरियाणा) सीमा पर रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) और अतिरिक्त बल को तैनात किया गया है।
इधर, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि किसानों के साथ वार्ता की अगली तारीख तय करने के लिए सरकार उनसे संपर्क में है। गौरतलब है कि किसान यूनियनों ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना आंदोलन तेज कर दिया है और उन्होंने सोमवार को एक दिन की भूख हड़ताल की। तोमर ने कहा कि बैठक निश्चित रूप से होगी। हम किसानों के साथ संपर्क में हैं।” सरकार ने एक बार फिर किसानों के साथ समझौते के लिए बातचीत की बात कही है। इसपर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समिति (AIKSCC) ने कहा कि वे तीन शर्तों पर बात करेंगे- पहली- बातचीत पुराने प्रस्तावों के बारे में नहीं होगी, जिसे कृषि संघों ने अस्वीकार कर दिया है। दूसरी, सरकार को एक नया एजेंडा तैयार करना होगा। और तीसरी शर्त है कि, चर्चा कृषि कानूनों खत्म करने पर केंद्रित होनी चाहिए।गाजीपुर सीमा पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी किसान हैं। उनकी कृषि उपज किस दर पर बेची गई, क्या उन्हें एमएसपी पर बेचा गया? क्या उन्हें नुकसान हुआ या लाभ हुआ? … सरकार को गांवों का दौरा करना चाहिए और बैठकें करनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि किसानों कानून समझने चाहिए, सरकार उनके साथ किसी भी तरह का अन्याय नहीं करेगी। गडकरी ने कहा, ” किसानों को आकर कानून समझना चाहिए। हमारी सरकार किसानों के प्रति समर्पित है और उनकी ओर से दिए गए प्रस्तावों को स्वीकार करने के लिए तैयार है। हमारी सरकार में किसानों के साथ कोई भी अन्याय नहीं होगा। कुछ तत्व हैं जो इस आंदोलन का गलत इस्तेमाल कर इसे भटकाना चाहते हैं। यह गलत है।”
-दिल्ली के सिंघु बॉर्डर पर भी प्रदर्शन जारी है। नवंबर महीने के अंत से दिल्ली के बॉर्डर पर डेट हजारों किसानों ने मंगलवार को एक दिन की भूख हड़ताल की थी।