हाथरस के कथित गैंगरेप में खेत में सबसे पहले पहुंचने का दावा करने वाले छोटू की मां ने अपने बेटे का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने से साफ इंकार कर दिया है। छोटू मजदूरी करने के लिए तीन दिसम्बर को ही अपने भाई के पास जयपुर चला गया है।
प्रकरण की जांच सीबीआई कर रही है। चार आरोपियों का सीबीआई पॉलीग्राफ टेस्ट करा चुकी है। छोटू से पहले भी सीबीआई ने घर जाकर पॉलीग्राफ टेस्ट कराने को कहा था, लेकिन छोटू की मां ने इंकार कर दिया। बताया कि पांच दिन पहले सीबीआई के कुछ लोग घर आये थे। उन्होंने कहा कि छोटू का पॉलीग्राफ टेस्ट होना है। इस पर छोटू की मां ने इंकार कर दिया। कहा कि छोटू तीन दिसम्बर को ही जयपुर काम करने के लिए जा चुका है। इस कांड के कारण उनका परिवार परेशान है। दोनों बेटे बेरोजगार होकर घर पर बैठे थे। उन्हें अपने बेटे का कोई पॉलीग्राफ टेस्ट नहीं कराना।
हाथरस घटना का मास्टर माइंड रऊफ विदेश भागते वक्त गिरफ्तार
हाथरस की घटना की आड़ में दंगा भड़काने के मामले में पुलिस ने त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट से केरल निवासी रऊफ को को गिरफ्तार कर लिया है। एसटीएफ द्वारा की जा रही जांच में रऊफ का नाम सामने आया था। रऊफ को तब गिरफ्तार किया गया जब वह मस्कट भागने की फिराक में था। गौरतलब है कि पांच अक्तूबर को मांट टोल प्लाजा पर पुलिस ने स्विफ्ट डिजायर नंबर- डीएल 01 जेडसी-1203 से चार लोग पकड़े थे। इनमें अतीक उर रहमान पुत्र रौनक अली निवासी नगला थाना रतनपुरी मुजफ्फरनगर, सिद्दीकी पुत्र मोहम्मद चैरूर निवासी बेंगारा थाना मल्लपुरम, मसूद अहमद निवासी जरवल थाना व कस्बा जरूर रोड जनपद बहराइच और आलम पुत्र लाइक पहलवान निवासी घेर फतेह खान थाना कोतवाली जनपद रामपुर शामिल थे। इनके कब्जे से मोबाइल, लैपटॉप एवं संदिग्ध साहित्य (शांति व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला) प्राप्त हुआ था। पुलिस द्वारा पूछताछ किए जाने पर इनका संबंध पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एवं उसके सह संगठन कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) से होना मिला था। पुलिस ने जांच पड़ताल के बाद पाया कि ये लोग हाथरस में दंगा भड़काने के प्रयास में थे। पुलिस जांच में सामने आया कि ये लोग एक वेबसाइट का संचालन कर रहे थे, जिनका मुख्य उद्देश्य लोगों से चंदा प्राप्त करना व प्राप्त धनराशि का उपयोग सामाजिक विद्वेष व जातिगत हिंसा में बढ़ावा व हाथरस कांड को लेकर अफवाह फैलाने के लिए किया जा रहा था। पुलिस ने इन लोगों के खिलाफ देशद्रोह की धारा में मामला दर्ज किया था।
इन धाराओं में दर्ज हुई थी रिपोर्ट
पुलिस ने चारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 153 ए,295 ए,124 ए व गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 की धारा 17 व 14 एवं सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन)अधिनियम 2008 की धारा 65,72 व 76 में रिपोर्ट दर्ज की गई है,पुलिस में दर्ज रिपोर्ट की जांच प्रभारी निरीक्षक भीम सिंह जावला को सौंपी गई है।
ईडी भी कर चुकी है पूछताछ
इन लोगों को अदालत द्वारा जेल भेजे जाने के बाद इनसे पूछताछ के लिए ईडी की टीम भी आयी थी। ईडी की टीम ने अदालत से अनुमति मिलने के बाद इन लोगों से जेल जाकर पूछताछ की थी। ईडी की टीम ने जानकारी की थी कि उन पर चंदा कहां-कहां से आया। विदेश से आये पैसे के बारे में भी जानकारी की गई थी। शुरुआत में इसकी जांच मांट थाना द्वारा की गयी। बाद में एसएसपी डॉ. गौरव ग्रोवर द्वारा इसकी जांच सीओ को सोंप दी गई। इसके कुछ दिन बाद ही शासन ने इस मामले की जांच एसटीएफ को दे दी।
एसटीएफ कीजांच में हुआ रऊफ के नाम का खुलासा
एसटीएफ द्वारा की गई जांच में रऊफ के नाम का खुलासा हुआ। एसटीएफ की जांच में पता लगा कि मथुरा से गिरफ्तार पीएफआई से जुड़े अभियुक्तगण अतीकुर्रहमान और मसूद को दंगा भड़काने की साजिश में आर्थिक मदद और संसाधन उपलब्ध कराने के लिए केरल निवासी रऊफ शरीफ की थी। जांच में रऊफ का नाम आने पर और उसके विदेश भागने की अभिसूचना प्राप्त होने पर मांट के मुकदमे में लुकआउट 18 नवंबर को जारी हो गये थे। रऊफ शरीफ शनिवार को मस्कट जाने की फिराक में था। जिसे त्रिवेंद्रम एयरपोर्ट पर हिरासत में लिया गया है। पीएफआई के छात्र विंग सीएफआई के महासचिव रऊफ शरीफ को देश-विदेश से करोड़ों रूपये की फंडिंग प्राप्त होने और उसका प्रयोग सामाजिक वैमनस्यता और साम्प्रदायिक दंगों को भड़काने के लिए उपयोग किए जाने का तथ्य एसटीएफ की विवेचना में प्रकाश में आया है।