राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की ओर से लगातार सोशल मीडिया पर केन्द्र सरकार के खिलाफ हमला बोला जा रहा है। सीएम ने एक बयान जारी कर सवाल किया कि ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि 10 केंद्रीय मंत्रियों एवं बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को किसान आंदोलन के खिलाफ उतरना पड़ा? क्योंकि मोदी सरकार ने किसानों और विपक्ष समेत किसी स्टेकहोल्डर से संवाद ही नहीं किया। अगर संवाद किया होता तो ऐसी जरूरत नहीं पड़ती।
गहलोत ने कहा कि पहले भी देश की जनता ने अपने प्रधानमंत्रियों पर यकीन किया है। उनके बनाए हुए कानूनों का स्वागत किया है। यदि आज भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों की बात सुनकर उनसे संवाद करते तो मामला इतना नहीं बढ़ता।
कोरोना काल में लोगों ने उनके कहने पर ताली, थाली, घंटी बजाई एवं मोमबत्ती जलाई लेकिन किसानों के मुद्दे पर पीएम मोदी ने चुप्पी साध ली। अगर वो किसानों के हक में सही निर्णय लेते तो किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता। प्रधानमंत्री को अब भी सभी से संवाद स्थापित कर उनकी बात सुननी चाहिए और उनकी समस्याओं का हल निकालना चाहिए। लेकिन, अभी तक वो ऐसा करने में नाकाम रहे हैं। बता दें कि सीएम अशोक गहलोत कृषि कानूनों को लेकर लगातार केंद्र पर निशाना साध रहे है।
केंद्र की नीतियों से चली गई लाखों लोगों की नौकरी
गहलोत ने कहा कि आज केंद्र सरकार और इस देश के सामने इतनी सारी चुनौतियां हैं जिनका केंद्र सरकार की तरफ से कोई जिक्र नहीं हुआ है। केंद्र सरकार की नीतियों के कारण लाखों लोगों की नौकरियां चली गईं। पहली बार आरबीआई ने माना है कि देश में आर्थिक मंदी आई है।
महंगाई और बेरोजगारी चरम सीमा पर है। ऐसे विकट समय में केंद्र सरकार को किसानों के खिलाफ कानून लाने की क्या जरूरत थी? इस मंदी के दौर में भी कृषि क्षेत्र में 3.4% की बढ़त हुई जिसने अर्थव्यवस्था को संभाल रखा है। फिर ऐसी क्या जरूरत पड़ी की आनन-फानन में ये बिल लाकर मोदी सरकार ने किसानों को सड़कों पर आने को मजबूर किया?