देश में इन दिनों अंतरधार्मिक शादियों पर काफी बात हो रही है। उत्तर प्रदेश सरकार के नक्शे कदम पर चलते हुए मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने भी लव जिहाद कानून बनाने की घोषणा कर चुकी हैं। अब मध्य प्रदेश में एक जबरदस्ती धर्म परिवर्तन का मामला प्रकाश में आया है।
मध्य प्रदेश में 29 नवंबर को एक व्यक्ति को पुलिस ने मध्य प्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता कानून,1968 के तहत गिरफ्तार किया है। इस पर अपनी पत्नी का जबरन धर्म परिवर्तन कराने का आरोप है। एसडीओपी धनपुर भारत दुबे ने बताया था कि दोनों 2018 से एक साथ रह रहे थे।
एसडीओपी ने बताया, यह महिला हिन्दु धर्म की है और इसने अपने पति पर जबरन धर्म परिवर्तन का आरोप लगाया है। महिला के अनुसार उसका पति, इरशाद खान उसे तंग कर रहा था। उसका परिवार महिला को जबरन धर्म परिवर्तन और उनकी संस्कृति को अपनाने के लिए दबाव बना रहा था। साथ ही उसे उर्दू और अन्य अरबी भाषाएं सीखने के लिए दबाव बना रहा था।
क्या कहना है मध्य प्रदेश लव जिहाद कानून का ड्राफ्ट
आपको बता दें राज्य सरकार जबरन धार्मिक परिवर्तन को लेकर सख्त कदम उठा रही है। मध्य प्रदेश सरकार के नए कानून (मप्र फ्रीडम ऑफ रिलीजन एक्ट 2020) का ड्रॉफ्ट लगभग तैयार हो गया है। इसमें ताजा मामलों के पकड़े जाने पर पांच साल की सजा का प्रावधान तो है ही, लेकिन ऐसे विवाह यदि हो चुके हैं उन्हें रद्द करने का अधिकार भी फैमिली कोर्ट को दिया जा रहा है, लेकिन इसमें किसी सगे-संबंधी को यह पहले शिकायत करनी होगी कि यह प्रकरण और विवाह लव जिहाद से जुड़ा मसला है। इसके बाद अंतिम निर्णय फैमिली कोर्ट करेगा। फैमिली कोर्ट के फैसले को उच्च अदालत में चुनौती दी जा सकेगी। बताया जा रहा है कि जल्द ही ड्रॉफ्ट को अंतिम रूप देकर विधि विभाग को परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। इसके बाद सीनियर सैक्रेटरी की कमेटी इस पर चर्चा करेगी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद इसे विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। एक्ट में प्रलोभन, बलपूर्वक, फ्रॉड, बहकावे जैसे शब्दों का भी उल्लेख होगा।
शिकायत होने पर विवाह कर रहे युवक-युवती पर ही अपनी सच्चाई साबित करने का भार होगा कि वे जोर-जबरदस्ती से ऐसा नहीं कर रहे, न ही यह लव जिहाद है। सरकारी अधिकारी या कर्मचारी अपने पद का इस्तेमाल करके ऐसे विवाह कराता है तो उसे भी पांच साल की सजा होगी। मसलन एसडीओ, थानाधिकारी या अन्य। यदि किसी केस में लव जिहाद साबित हो गया और प्रोसिक्यूशन करना है तो ऐसे प्रकरणों के बारे में फैसला शासन स्तर यानी गृह विभाग करेगा। अभी आईटी एक्ट या धारा 153 (ए) में यही प्रावधान है जो सांप्रदायिक विवाद से जुड़े हैं। माता-पित्ता, भाई-बहन या रक्त संबंधी की शिकायत पर लव जिहाद से हुए विवाहों के मामले में फैमिली कोर्ट को यह अधिकार होगा कि वह ऐसी शादी को निरस्त कर सके। यदि कोई धर्म परिवर्तन से जुड़ा मसला है तो परिवार को एक माह पहले आवेदन तो देना ही है।