लखनऊ : उत्तर प्रदेश की नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के परिणाम घोषित किए जा चुके हैं। जिसमें मुख्यमंत्री योगी की आक्रामक छवि के चलते भारतीय जनता पार्टी ने नौ में से सात सीटों पर सेंधमारी करते हुए शानदार जीत दर्ज की। वहीं सपा मात्र दो सीटों पर लटक गई। उपचुनाव में तमाम प्रयास के बाद भी विपक्ष सियासी ऊर्जा नहीं बिखेर पाई। जिसने यह साबित कर दिया कि समाजवादी पार्टी को कांग्रेस से दूरी काफी भारी पड़ी है। उपचुनाव के परिणामों ने यह भी साफ किया है कि अगर सपा को विपक्ष की गोलबंदी करनी है तो कांग्रेस का सियासी रसायन इस्तेमाल करना ही पड़ेगा। सपा और कांग्रेस के अलगाव से दलित और अति पिछड़े वर्ग के वोटों में बिखराव हो गया।
बता दें कि विधानसभा की नौ सीटों पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस ने पांच सीटें मांगी थी, लेकिन समाजवादी पार्टी ने सिर्फ दो सीटें, खैर और गाजियाबाद दी थीं। यही वजह रही कि कांग्रेस ने चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया और सपा अकेले मैदान में रही। सपा ने अपने बैनर पर कांग्रेस नेताओं की तस्वीरें भी लगवाईं, लेकिन इसका कोई खास असर नहीं हुआ। गाजियाबाद छोड़़कर और किसी भी जनसभा में कांग्रेस के नेता सपा के साथ मंच साझा करते नजर नहीं आए। वहीं कांग्रेस नेताओं ने यह भी स्वीकारा कि उन्हें बुलाया ही नहीं गया।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने PDA को कैसे किया था गोलबंद
लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस का प्रदर्शन काफी आक्रमक था। कांग्रेस ने 243 सीटों पर अपना पंजा छोड़ा था। दरअसल, इस दौरान कांग्रेस ने संविधान, जाति गणना, आरक्षण सीमा बढ़ाने जैसे मुद्दे उठाकर दलितों और अति पिछड़ी जातियों के वोटों पर सेंधमारी की थी। सपा को लगा कि यह ऐसे ही कायम रहेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस नेताओं के साथ नहीं रहने से दलितों में संशय रहा और वोटों का बिखराव हो गया। इसका सीधा फायदा भाजपा को मिला।