लखनऊः बस्ती मंडल का संत कबीर नगर जिला देश के सबसे पिछड़े जिलों में शामिल है। जिले का मुख्यालय खलीलाबाद में है, लेकिन संत कबीर की महापरिनिर्वाण स्थली ‘मगहर’ स्थित होने के कारण जिले को संत कबीर नगर नाम दिया गया है। परिसीमन के बाद 2008 में संत कबीर नगर को लोकसभा सीट का दर्जा मिला था। भाजपा ने यहां सांसद प्रवीण कुमार निषाद पर दूसरी बार दांव लगाया है। अगर वह जीतते हैं तो उनकी यह तीसरी जीत होगी। प्रवीण योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद के पुत्र हैं। सपा ने उनका मुकाबला करने के लिए पूर्व राज्य मंत्री लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद को उतारा है, जबकि बसपा ने दो बार प्रत्याशी बदलने के बाद नदीम अशरफ पर दांव लगाकर मुस्लिम-दलित गठजोड़ बनाने की कोशिश की है। इसके चलते यहां इस बार लड़ाई त्रिकोणीय होने के आसार जताए जा रहे हैं।
उद्योग-धंधे बंद होना बड़ा मुद्दा, जोर जातीय गोलबंदी पर
संत कबीर नगर का खलीलाबाद कभी औद्योगिक और बुनकरों की नगरी था। यह जिला तो बन गया लेकिन इसका विकास गोरखपुर और बस्ती के बीच अटका हुआ है। हालांकि चुनाव में विकास बड़ा मुद्दा नहीं है। जातीय समीकरण सेट करने पर प्रत्याशियों का जोर है। संत कबीर नगर में मुस्लिम मतदाता पांच लाख, ब्राहमण करीब ढाई लाख, क्षत्रिय लगभग दो लाख और दलित मतदाता करीब साढ़े चार लाख, निषाद मतदाता डेढ़ लाख से ज्यादा और यादव मतदाता सवा लाख तथा इतने ही कुर्मी मतदाता गिने जाते हैं।