महाराष्ट्र के मंत्री एवं प्रदेश राकांपा प्रमुख जयंत पाटिल ने शुक्रवार को भाजपा की अगुवाई वाली राज्य की पूर्ववर्ती सरकार पर आरोप लगाया कि राज्य में उपभोक्ताओं के 67,000 करोड़ रुपये के बिजली बिल के बकाये के कारण उसने राज्य की बिजली पारेषण कंपनी एमएसईडीसीएल को संकट में डाला। पाटिल का यह बयान बिजली के बढ़े हुए बिलों के मुद्दे पर महा विकास आघाड़ी (एमवीए) सरकार के आलोचना का सामना करने और इन बिलों को माफ करने की बढ़ती मांग के बीच आया है।
पाटिल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ”भाजपा के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार के पांच साल के शासन के दौरान, 67,000 करोड़ रुपये के बिजली बिल बकाया थे, जिसके कारण एमएसईडीसीएल (महाराष्ट्र राज्य बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड) संकट में आ गई।” उन्होंने कहा, ”आज आम आदमी बिजली के बिलों के कारण परेशानी का सामना कर रहा है। राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने एमएसईडीसीएल को संकट में डाला…।”
उन्होंने कहा कि एमवीए सरकार उपभोक्ताओं पर बोझ को कम करने के लिए प्रयास कर रही है और बकाया राशि को लेकर रास्ता तलाश रही है। उन्होंने कहा, ”राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत स्थिति से निपटने के लिए अच्छे प्रयास कर रहे हैं।”
राज्य में स्कूलों को फिर से खोलने और राज्य सरकार द्वारा मुद्दे पर स्थानीय प्राधिकारियों से इस पर निर्णय करने के लिए कहे जाने पर पाटिल ने कहा कि हर जिले में कोरोना वायरस की स्थिति अलग है। उन्होंने कहा, ”अभिभावकों को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लिया जाएगा।” पाटिल यहां स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों से राज्य विधान परिषद के आगामी चुनावों के लिए समन्वय बैठक के बाद बोल रहे थे।
भाजपा नेता प्रवीण दरेकर के इस आरोप के बारे में पूछे जाने पर कि जो मंत्रालय कांग्रेस के पास हैं उनकी उपेक्षा की जा रही है, पाटिल ने कहा, ”भाजपा नेताओं के बयानों को गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ”भाजपा ये बयान दे रही है, लेकिन जब वह शिवसेना के साथ सत्ता में थी, तो उसने उससे अलग तरह से व्यवहार किया। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे किसी से भी अलग तरह से व्यवहार नहीं करते।”
साल 2022 के बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) चुनावों के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि चूंकि शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस महाराष्ट्र में सत्ता साझा कर रही हैं, इसलिए इन तीनों दलों को मुंबई में निकाय चुनाव भी एकसाथ लड़ना चाहिए। पाटिल का यह बयान कांग्रेस नेता रवि राजा के उस बयान के एक दिन बाद आया है, जिसमें उन्होंने कथित तौर पर कहा था कि उनकी पार्टी अगला बीएमसी चुनाव अकेले लड़ेगी।
पाटिल ने कहा, ”चूंकि तीनों पार्टियां एक सरकार का हिस्सा हैं, इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि उन्हें (2022 में होने वाले निकाय चुनाव के लिए) एकसाथ आना चाहिए। हालांकि, मैं अन्य दो दलों के नेताओं की ओर से नहीं बोल सकता।” जब इस ओर ध्यान दिलाया गया कि भाजपा ने परोक्ष तौर पर बीएमसी चुनावों के लिए बिगुल फूंक दिया है, तो पाटिल ने कहा कि पार्टी ने प्रयास करना शुरू कर दिया है क्योंकि वह जानती है कि वह हारने वाली है।
स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के चुनावों के लिए समन्वय बैठक के बारे में पाटिल ने कहा कि तीनों दलों के सभी प्रमुख नेताओं ने बैठक में हिस्सा लिया और चुनाव अभियान शुरू कर दिया गया है। इस बैठक में शिवसेना और कांग्रेस के नेता भी मौजूद थे। उन्होंने कहा, ”मुझे यकीन है कि एमवीए के सभी उम्मीदवार विजयी होंगे।”