नैनीतालः उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने पहाड़ों की रानी मसूरी के पंच सितारा होटल वेलकम सेवाएं को पर्यावरण मानकों के कथित उल्लंघन के आरोप में राहत नहीं देते हुए राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं। होटल वेलकम सेवाएं की ओर से एक याचिका दायर कर उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (पीसीबी) के कदम को चुनौती दी गई।
पीसीबी की ओर से एनजीटी के आदेश के अनुपालन में पर्यावरण मानकों के उल्लंघन के आरोप में होटल वेलकम सेवाएं पर पर्यावरणीय मुुआवजा के रूप में 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था। वेलकम होटल की ओर से इस आदेश को चुनौती दी गई। मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि पीसीबी की ओर से हमें सुनवाई का मौका नहीं दिया गया है और उन्होंने पेयजल की चोरी नहीं की है।
याचिकाकर्ता की ओर से यह भी कहा गया कि वह एनजीटी में चल रहे कार्तिक शर्मा बनाम राज्य मामले में पक्षकार भी नहीं हैं। पीसीबी के अधिवक्ता आदित्य प्रतात सिंह ने बताया कि अदालत ने उनकी दलील को अनसुना कर दिया और उन्हें किसी प्रकार की राहत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने होटल सेवाएं को एक सप्ताह के अंदर एनजीटी में अपना पक्ष रखने के निर्देश दिए हैं। साथ ही तब तक पीसीबी के जुर्माना वसूली पर रोक रहेगी। गौरतलब है कि एनजीटी में मंसूरी में पीसीबी के मानकों के खिलाफ चल रहे होटलों को लेकर एक मामला चल रहा है।
कार्तिक शर्मा बनाम राज्य सरकार मामले में सुनवाई करते हुए एनजीटी ने अंतरिम आदेश जारी कर मानकों के खिलाफ चल रहे होटलों के खिलाफ पीसीबी को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। एनजीटी के आदेश के अनुपालन में पीसीबी ने पाया कि मंसूरी झील के प्रमुख स्रोत (पानी के) से होटल की ओर से कथित रूप से पानी की आपूर्ति की जा रही है। पीसीबी की ओर से इस मामले में नवम्बर,2023 में होटल सेवाएं को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया और उसके बाद इसी साल फरवरी में 50 लाख का जुर्माना लगा दिया गया।