बरेली: ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने शनिवार को जारी एक बयान में कहा कि 22 जनवरी को अयोध्या स्थित राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम लोग भाग ले रहे हैं। मौलाना का आरोप है कि राम मंदिर के नाम पर कुछ मुस्लिम संगठन और सपा नेता मुसलमानों को भड़काने और डराने का काम कर रहे हैं। बोले- मुसलमानों को घबराने की जरूरत नहीं है। 22 जनवरी को अमन और शांति रहेगी। भारत सूफी संतों का देश है। यहां सदियों से सभी लोग सौहार्द के साथ मिलजुलकर रहते आए हैं।
राम मंदिर को राजनीतिक मुद्दा बनाकर मुसलमानों को डरा रहे सपा नेता
रजवी ने आरोप लगाया है कि सपा सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क और डॉ. एसटी हसन लगातार राम मंदिर को राजनीतिक मुद्दा बनाकर मुसलमानों को डरा रहे हैं। मौलाना ने कहा कि इस समय श्रीराम के नाम से शहर और ग्रामीण क्षेत्र में जुलूस निकाले जा रहे हैं। जुलूस निकालना हर व्यक्ति का हक है, मगर दूसरों की भावनाओं का भी ध्यान रखा जाए। ऐसा कुछ नहीं किया जाए, जिससे किसी की भावना आहत हो। शासन और प्रशासन भी इस पर ध्यान दे।
क्या कहा था एसटी हसन ने?
गौरतलब है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह से दूरी बनाने पर विपक्ष के खिलाफ बीजेपी ने मोर्चा खोल रखा है। अपने नेता और पार्टी के बचाव में आए मुरादाबाद से सपा सांसद एसटी हसन ने कहा कि सारे हिंदुओं का ठेका बीजेपी के पास ही नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि अखिलेश यादव भी श्रीरामचंद्रजी को मानने वाले हैं। हमारे नेता (अखिलेश यादव) उनसे (बीजेपी के नेताओं से) बड़े हिंदू हैं लेकिन उसका राजनीतिकरण नहीं करते। उन्होंने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के आयोजन से दूरी को लेकर कहा कि हम इसमें क्या कह सकते हैं। शंकराचार्य जो कह रहे हैं, वह तो सबको मालूम ही होगा। श्रीरामचंद्रजी का इतना बड़ा स्टेटस है. क्या हमें वोट के लिए उनके नाम का इस्तेमाल करना चाहिए? उन्होंने साथ ही अखिलेश को निमंत्रण मिलने की भी पुष्टि की है. गौरतलब है कि अखिलेश यादव और उनकी पत्नी ने राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर आयोजित कार्यक्रम के संबंध में कुछ दिन पहले कहा था कि उन्हें कार्यक्रम का निमंत्रण नहीं मिला है। अगर निमंत्रण मिलता है तो हम जरूर जाएंगे। इसके कुछ दिन बाद श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से अखिलेश यादव को इस आयोजन के लिए निमंत्रण भेजा गया था जिसे सपा प्रमुख ने अस्वीकार कर दिया था। हालांकि, बाद में अखिलेश ने निमंत्रण स्वीकार कर लिया था और सपा की ओर से यह कहा गया था कि वह 22 जनवरी के बाद परिवार के साथ दर्शन करने जाएंगे।