90 फीसदी प्रभावी कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने का दावा करने वाली फाइजर इंक और उसके समूह की कंपनियों ने अमेरिका की अदालत में अरविंदो फार्मा लि. और डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज के खिलाफ मुकदमा दायर किया है। कंपनी का आरोप है कि भारत की दवा कंपनियां पेटेंट समाप्त होने से पहले ही उसकी अरबों डॉलर के राजस्व वाली दवा इब्रांस (पाल्बोसिक्लिब) का जेनेरिक संस्करण लाने की तैयारी कर रही हैं।
फाइजर ने अमेरिका की जिला अदालत डेलावेयर में दोनों कंपनियों के खिलाफ पेटेंट के संभावित उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। पाल्बोसिक्लिब का इस्तेमाल कुछ प्रकार के स्तन कैंसर के इलाज में होता है। यह दावा कैंसर के फैलने की रफ्तार को धीमा करने या रोकने में भी कारगर है।
फाइजर की 2019 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार 2019 में इब्रांस की वैश्विक बिक्री पांच अरब डॉलर रही है। अकेले अमेरिका में ही इसकी बिक्री 3.25 अरब डॉलर थी। मार्च, 2019 में कई जेनेरिक दवा कंपनियों ने घोषणा की थी कि उन्होंने इब्रांस के जेनेरिक संस्करण के लिए अमेरिका के खाद्य एवं दवा प्रशाासन (एफडीए) के समक्ष आवदेन किया है।
अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर ने कोरोना वायरस की भी वैक्सीन बनाई है, जिसे लेकर दावा है कि वह 90 फीसदी तक प्रभावी है। फाइजर जर्मन बायोटेन फर्म बायोएनटेक द्वारा संयुक्त रूप से विकसित वैक्सीन तीसरे चरण में 90 फीसदी से अधिक प्रभावी साबित हुई है। कंपनी के ट्रायल के शुरुआत निष्कर्षों से पता चला है कि पहली बार डोज दिए जाने के 28 दिनों बाद और दूसरे बार दो खुराक दिए जाने के 7 दिन बाद मरीज को सुरक्षा प्राप्त हुई है।
फाइजर के अध्यक्ष और सीईओ अल्बर्ट बोरला ने एक बयान में कहा कि हमारे तीसरे चरण के ट्रायल के पहले सेट में कुछ ऐसे सबूत मिलने है जिससे यह पता चलता है कि यह कोरोना वायरस को रोकने में प्रभावी है।