जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) की कुलपति शांतिश्री पंडित ने बृहस्पतिवार को कहा कि पानी की कमी के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए चार छात्र संघ के प्रतिनिधियों और 12 छात्रावास के अध्यक्षों के खिलाफ शुरू की गई सभी ‘प्रॉक्टोरियल जांच’ पर विश्विद्यालय प्रशासन पुनर्विचार करेगा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) के प्रतिनिधियों और छात्रावास के अध्यक्षों को 19 सितंबर को कुलपति के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करने को लेकर पिछले महीने एक जांच नोटिस भेजा गया था।
हालांकि, छात्रों के संगठन ने कहा कि वह ‘थोड़ी’ सांत्वना से खुश नहीं है। कुलपति ने सोमवार को जेएनयूएसयू प्रतिनिधियों और छात्रावास अध्यक्षों के साथ बैठक की और पानी की कमी के विरोध को लेकर किए गए प्रदर्शन के खिलाफ शुरू की गई प्रॉक्टोरियल जांच को वापस लेने के लिए जेएनयूएसयू की अपील पर पुनर्विचार करने का आश्वासन दिया। हालांकि, जेएनयू प्रशासन द्वारा चल रही अन्य पूछताछ पर कोई स्पष्टता नहीं दी गई।
कुलपति को 15 दिसंबर को सौंपे गए ज्ञापन में जेएनयूएसयू ने कार्रवाई को ‘कठोर’ और ‘मनमाना’ बताते हुए विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्रों के खिलाफ चल रही सभी जांच को वापस लेने की मांग की थी। छात्रावास अध्यक्षों ने एक बयान में कहा, ‘‘हम, जेएनयू के छात्रावास अध्यक्षों ने छात्रावास समुदाय को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों के समाधान की उम्मीद को लेकर 18 दिसंबर को कुलपति के साथ बैठक की।
कुलपति ने हमें सूचित किया कि सभी प्रॉक्टोरियल नोटिसों पर अपील चरण में पुनर्विचार किया जाएगा।” जेएनयूएसयू ने 23 दिसंबर को कैंपस में मशाल मार्च का आह्वान किया है, जिसमें ‘चीफ प्रॉक्टर ऑफिस मैनुअल’ को वापस लेने की मांग की गई है। इसके तहत कैंपस के चयनित क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन करने पर दंड का प्रावधान है। छात्रों ने कहा कि वे ‘थोड़ी सी’ सांत्वना से संतुष्ट नहीं हैं और विरोध प्रदर्शन का अपना आह्वान जारी रखेंगे। उन्होंने बयान में कहा, ‘‘अपील का वादा उन लोगों के लिए थोड़ी सांत्वना है जिन्हें लगता है कि उन्हें गलत तरीके से निशाना बनाया गया है। छात्रावास अध्यक्ष के रूप में हम अपने अधिकारों और हितों की वकालत करने के लिए अपना प्रयास जारी रखेंगे।”