शिवसेना ने मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा है कि बिहार में बीजेपी की बड़ी जीत हुई है। इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को ही मिलना चाहिए। इसका आनंदोत्सव मनाया गया लेकिन आंकड़ों के खेल में एनडीए के हाथ फिसलती जीत लगी है और असली विजेता 32 वर्षीय तेजस्वी यादव ही हैं।
शिवसेना ने कहा कि नीतीश कुमार को बीजेपी के इशारे पर काम करना पड़ेगा। बिहार का नेतृत्व आखिरकार भारतीय जनता पार्टी के हाथों में जा चुका है। संपादकीय में लिखा गया है, ”स्पष्ट शब्दों में कहें तो बिहार में बीजेपी और राष्ट्रीय जनता दल, दो विपरीत विचारधारा वाली पार्टियों को सफलता मिली है। इसमें नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जेडीयू कहीं नहीं है। मुख्यमंत्री के रूप में जनता द्वारा झिड़क दिए जाने पर मुख्यमंत्री पद पर उन्हें लादना एक प्रकार से जनमत का अपमान है। इस परिस्थिति में तीसरे क्रमांक पर फेंके जा चुके नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में आगे बढ़ेंगे तो यह उनके राजनीतिक करियर की शोकांतिका साबित होगी। यह हारे हुए पहलवान को जीत का पदक देने जैसा समारोह साबित होगा।”
शिवसेना ने सामना के संपादकीय में तेजस्वी यादव की जमकर प्रशंसा की है। उन्होंने लिखा, ”तेजस्वी के रूप में सिर्फ बिहार ही नहीं, बल्कि देश को एक जुझारू युवा नेता मिला है। वह अकेले लड़ता रहा। वह विजय के शिखर पर पहुंचा। वह भले जीता ना हो लेकिन उसने हार नहीं मानी। देश के राजनीतिक इतिहास में इस संघर्ष को लिखा जाएगा।”
वहीं, इससे पहले एग्जिट पोल्स में बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के अनुमान के बाद शिवसेना ने तेजस्वी यादव की भी काफी प्रशंसा की थी। शिवसेना ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी सहित नीतीश कुमार आदि नेता युवा तेजस्वी यादव के सामने नहीं टिक पाए। झूठ के गुब्बारे हवा में छोड़े गए, वो हवा में ही गायब हो गए। लोगों ने बिहार के चुनाव को अपने हाथों में ले लिया। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और नीतीश कुमार के आगे घुटने नहीं टेके। उल्लेखनीय है कि बिहार में तीसरे चरण की वोटिंग के बाद आए तकरीबन सभी एग्जिट पोल्स में महागठबंधन की सरकार बनते हुए दिखाया गया था, लेकिन नतीजे इससे एकदम पलट आए थे।