गोपालगंज: बिहार के गोपालगंज जिले में मांझागढ़ थाना क्षेत्र के दानापुर शिव मंदिर में रहने वाले मनोज साह की हत्या का पुलिस ने उछ्वेदन कर मामले में संलिप्त उसकी पूर्व प्रेमिका समेत तीन अभियुक्तों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस सूत्रों ने सोमवार को बताया कि दानापुर शिव मंदिर में तीन लड़के रहते थे और रात में मंदिर में ही सोते थे। इनमें से दानापुर के ही मनोज कुमार साह के लापता होने की रिपोर्ट उसके परिजनों ने इस वर्ष 11 दिसंबर को मांझागढ़ थाना में दर्ज कराई थी। मामले को गंभीरता से लेते हुए इसके उछ्वेदन और मामले में संलिप्त अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी (एसडीपीओ) के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया।
17 दिसंबर को दर्ज की गई प्राथमिकी
सूत्रों ने बताया कि टीम ने मंदिर में लगे सीसीटीवी फुटेज के साथ ही तकनीकी अनुसंधान एवं पूछताछ के माध्यम से अपनी जांच शुरू की। इस क्रम में मंदिर के सीसीटीवी फुटेज को खंगालने पर पता चला कि 11 दिसंबर की आधी रात को मनोज अपने दो साथियों को मंदिर में छोड़ बाहर से दरवाजा बंद कर निकल रहा था। इसके बाद 16 दिसंबर को दानापुर सुधा डेयरी पार्लर के पास झाड़ी से मनोज का क्षत-विक्षत शव बरामद किया गया। इस सिलसिले में 17 दिसंबर को प्राथमिकी दर्ज की गई। एसआईटी ने जांच के क्रम में मनोज की पूर्व प्रेमिका नेहा कुमारी से पूछताछ की। इस क्रम में नेहा ने मनोज की हत्या में अपनी संलिप्तता स्वीकार करते हुए बताया कि मनोज उसका अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दे रहा था। नेहा ने यह बात अपने परिजनों की बताई थी।
लंबे समय से चल रहा था मनोज और नेहा का प्रेम प्रसंग
परिजनों की योजना के अनुसार, नेहा ने अपनी चाची के मोबाइल फोन से मनोज को कॉल कर मिलने के लिए अपने घर पर बुलाया। मनोज रात में नेहा के घर पहुंचा, जहां उसके परिजनों ने उसे बंधक बना लिया। मनोज को कुछ दिन घर में ही बंधक बनाकर रखने के बाद उसकी हत्या कर शव को 15 दिसंबर को दानापुर सुधा डेयरी पार्लर के पास झाड़ी में फेंक दिया। इस मामले का उछ्वेदन होने के बाद पुलिस ने हत्याकांड में संलिप्त नेहा कुमारी के अलावा सुनीता देवी और अमित कुमार को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस का कहना है कि मनोज और नेहा का प्रेम प्रसंग लंबे समय से चल रहा था। दोनों एक ही गांव के हैं और अगल-बगल में ही दोनों का घर है। पुलिस ने स्पष्ट किया कि इस हत्याकांड में मंदिर विवाद के संबंध में कोई भी साक्ष्य नहीं पाया गया है। दुष्प्रचार की नीयत से जानबूझकर मंदिर का विवाद गढ़ा गया था।