जयपुर । पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी रहे लोकेश शर्मा के लिए राहत की खबर सामने आई है । दरअसल लोकेश शर्मा के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में चल रही फोन टैपिंग केस की सुनवाई एक बार फिर टल गई है। दरअसल राजस्थान में सत्ता परिवर्तन के चलते अब केस की अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी ।
बता दें कि राजस्थान फोन टैपिंग मामले में शुक्रवार को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान राज्य सरकार की तरफ से पक्ष रख रहे एडवोकेट संदीप झा ने राजस्थान में सरकार बदलने की स्थिति को लेकर कहा कि केस में सरकार से निर्देश लेना होगा, लिहाजा 1-2 सप्ताह का समय दिया जाए। उधर, शिकायतकर्ता की तरफ से मौजूद वकील की ओर से कहा गया कि अब इस केस में कुछ बचा नहीं है। लोकेश शर्मा ने पिछले दिनों जो इंटरव्यू दिए हैं और जो मीडिया रिपोर्ट्स आई हैं उनमें ये माना है कि उनकी जानकारी में फोन टैपिंग की गई है।
इसको लेकर जस्टिस विकास महाजन ने इंटरव्यू और मीडिया रिपोर्ट्स पर संज्ञान नहीं लेने की बात कही । इस पर शिकायतकर्ता के वकील द्वारा लगातार मीडिया रिपोर्ट्स और न्यूज आर्टिकल्स का हवाला देने पर लोकेश शर्मा के वकील ने कहा कि हमें नहीं पता कि शिकायतकर्ता के वकील जिन मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला दे रहे हैं, उनमें क्या लिखा गया है। इसलिए आप एफिडेविट फाइल कर दें, हम उस पर अपना जवाब दाखिल कर देंगे। उधर राज्य सरकार की तरफ से मांगे गए समय और सरकार से दिशा-निर्देश प्राप्त करने के बाद ही आगे की बहस होगी । ऐसे में अब मामले को 19 दिसंबर तक टाल दिया है ।
लिहाजा 11 अक्टूबर के बाद से विभिन्न कारणों के चलते मामले की सुनवाई लगातार टलती आ रही है। वहीं 11 अक्टूबर को हुई सुनवाई के दौरान लोकेश शर्मा के वकील सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ अग्रवाल ने लोकेश शर्मा का पक्ष रखते हुए उन पर लगे फोन टैपिंग और दिल्ली पुलिस की ओर से जांच में सहयोग नहीं करने के आरोपों को बेबुनियाद बताया था। वहीं 11 अक्टूबर को मामले में लोकेश शर्मा की तरफ से बहस अधूरी रह गई थी, जिसे अगली तारीख पर पूरी किया जाना था। लेकिन अब 19 दिसंबर तक लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी पर रोक जारी रहेगी । अगर पूरे मामले की बात करे तो केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मार्च 2021 में दिल्ली क्राइम ब्रांच में लोकेश शर्मा के खिलाफ फोन टैपिंग का आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करवाया था। वहीं इस मामले में लोकेश शर्मा की ओर से केंद्रीय मंत्री की ओर से दर्ज करवाई गई एफआईआर को रद्द किए जाने की मांग की गई है।