भोपाल: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजें 3 नवंबर को आएंगे। उससे पहले कांग्रेस को पिछले साल की तरह ऑपरेशन लोटस की संभावना का डर सताने लगा है। यही वजह है कि मतगणना से पहले ही कांग्रेस के रणनीतिकारों ने एहतियातन कदम उठाए हैं। इसके तहत चुनाव जीतने वाले प्रत्याशियों को सरकार बनने तक कर्नाटक में रखने की रणनीति बनाई गई है। यहां बता दें कि कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है इसलिए यह जगह विधायकों के लिए सुरक्षित है।
दरअसल, कांग्रेस पिछले साल के जख्म को भूली नहीं है। भाजपा ने प्रदेश में तीन साल पहले 2020 में ऑपरेशन लोटस चलाकर कांग्रेस की सरकार को महज 15 माह में ही गिरा दिया था। इसलिए इस बार पार्टी कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। इस बार फिर से ऐसी परिस्थितियां पैदा न हो उससे निपटने के लिए पार्टी पूरी तरह तैयार है। कांग्रेस भाजपा के द्वारा की जाने वाली घेराबंदी से अपने विधायकों को बचाने के लिए विधायकों को कनार्टक में सुरक्षित रखेगी। सूत्रों की मानें तो कांग्रेस को भाजपा के प्लान बी का डर सता रहा है। इसके लिए भोपाल में कर्नाटक भेजने के लिए चार्टर प्लेन भी तैयार रखे जाएंगे।
इसके अलावा इस संभावना के चलते ही मतगणना के पहले ही पार्टी ने अपने प्रत्याशियों पर नजर रखने के लिए जिला स्तर पर आब्र्जवर और जिला अध्यक्ष को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। कांग्रेस प्रत्याशियों से मतगणना की पार्टी की ट्रेनिंग में कांग्रेस के प्रति निष्ठा रखने के लिए कहा जा चुका है। इसके लिए खुद पीसीसी चीफ कमलनाथ ने कमान संभाली थी और वीसी के दौरान यह कहा था कि भाजपा डोरे डाल सकती है। उन्होंने कहा कि इस पूरे चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवारों को जिताने के लिए मेरा पूरा प्रयास रहा। नाथ ने कहा था कि कोई कहेगा सट्टा बाजार ये कह रहा है, कोई वह, लेकिन मैं किसी पर विश्वास नहीं करता। मैं मप्र के मतदाताओं पर ही विश्वास करता- हूं। भाजपा के लोग सोचते हैं हम हथकंडे अपना लेंगे। हम लोगों को खरीद लेंगे। अब इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी। आप लोग इस ट्रेनिंग में भाग लें। जो प्रेजेंटेशन दिए गए हैं, वो सब मैंने देखे हैं। हमारी टेक्निकल टीम ने तैयार किए हैं। सूत्रों ने बताया कि भाजपा के सामने चुनाव में जीत के लिए चुनौती ज्यादा है। इसलिए कांग्रेस पूरी तरह से अलर्ट मोड कर हैं। प्रत्याशियों को एजेंसियों का डर दिखाकर अपने पाले में ला सकती है। ऑपरेशन लोटस की आशंका दिग्विजय सिंह ने भी जताई थी। यही कारण है कि इसके चलते कांग्रेस के कई संगठनों के नेताओं को भी कमलनाथ ने जिम्मेदारी सौंप रखी है।