पटनाः नीतीश सरकार ने आजादी के बाद देश में पहली बार जाति आधारित गणना एवं सामाजिक-आर्थिक सर्वे करवाया है। नीतीश कुमार का ये ऐतिहासिक कदम दूसरे राज्यों और दूसरी राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय पार्टियों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गया है। आज कांग्रेस के तमाम दिग्गज नेता जाति गणना का समर्थन कर रहे हैं। महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दक्षिण भारत के राज्यों में नीतीश बाबू के मॉडल के आधार पर जातीय गणना कराने की मांग ने जोर पकड़ ली है। ऐसे में नीतीश बाबू ने अपने एक फैसले से राष्ट्रीय राजनीति को गहराई तक प्रभावित किया है।
जातिगत गणना के आंकड़े 2022-23 से निकला गरीबी उन्मूलन का संकल्प
नीतीश सरकार द्वारा राज्य में जाति आधारित जनगणना कराई गई। इस जनगणना के आंकड़े ने बिहार की सामाजिक आर्थिक स्थिति का खाका पेश किया है। इस गणना के परिणाम बताते हैं कि राज्य में 6000 रुपए तक मासिक आय वाले परिवारों की संख्या 94,42,786 है। इस प्रकार सभी स्रोतों से 4000 रुपए मासिक आय अर्जित करने वाले गरीब परिवारों का प्रतिशत 34.13 है। 6000 रुपए से 10,000 रुपए तक मासिक आय कमाने वाले परिवारों का प्रतिशत 29.61 प्रतिशत है। इस प्रकार राज्य के 63.74 प्रतिशत परिवार 10,000 प्रति माह आय वर्ग में शामिल है। रुपए 10,001-20,000 मासिक आय वर्ग में राज्य के 18.06 प्रतिशत परिवार शामिल हैं। रुपए 20,001-50,000 मासिक आय वर्ग में राज्य के 9.83 प्रतिशत परिवार शामिल है।
बिहार के 1.57 प्रतिशत व्यक्ति सरकारी क्षेत्र में और 1.22 प्रतिशत व्यक्ति निजी (संगठित) क्षेत्र में रोजगार कर रहे हैं। असंगठित (निजी) क्षेत्र में 2.14 प्रतिशत व्यक्ति को रोजगार प्राप्त है। बिहार के 3.05 प्रतिशत लोग स्वरोजगार के माध्यम से आजीविका कमा रहे हैं। बिहार में 24-43 प्रतिशत आबादी कृषक, मजदूर, मिस्त्री एवं अन्य की श्रेणी में शामिल हैं। बिहार की जाति आधारित गणना के अनुसार राज्य में 13.07 करोड़ की आबादी है जिसमे गृहिणी, विद्यार्थी के रूप में 67.54 प्रतिशत आबादी शामिल है। वर्ष 2005-06 से वर्ष 2021-22 के बीच सामाजिक सेवाओं पर व्यय 11 गुणा से भी अधिक बढ़ा है। इसके समानांतर, मानव विकास के दो सबसे महत्वपूर्ण आयामों स्वास्थ्य एवं शिक्षा पर व्यय में भी यही पैटर्न दिखा। सामाजिक क्षेत्र पर व्यय बढ़ने के रूझान का अनुसरण करते हुए प्रति व्यक्ति विकासमूलक व्यय भी 2005- 06 से वर्ष 2021-22 के बीच 7 गुने से अधिक बढ़ गया। इन सबके प्रभाव संबंधित क्षेत्रों में दिखते हैं। शिशु मृत्यु दर में महत्वपूर्ण गिरावट दर्ज हुई है और वह 2015 के 42 प्रति हजार जीवित प्रसव से 2020 में 27 पर आ गई है।
उद्योग विभाग की तैयारी पूरी
उद्योग विभाग ने इस स्कीम का संकल्प पत्र जारी किया है। इसके आवेदन, चयन और आवंटन के संबंध में मार्गदर्शिका तैयार की जा रही है। उसमें आवेदन की प्रक्रिया से लेकर लाभुकों के चयन तक पूरी जानकारी होगी। अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक, इस योजना के लिए पात्र परिवार ऑनलाइन आवेदन करेंगे। उद्योग विभाग की वेबसाइट या अन्य किसी पोर्टल पर आवेदन का लिंक डाला जाएगा।