प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस ने ज्यादातर टिकट फाइनल कर दिए हैं अब माहौल भी तनाव पूर्ण हो गया है जिन दावेदारों की टिकट कटी है उनके अब जज्बात भी बदल गए हैं। भोपाल कांग्रेस दफ्तर की बात करें तो यहां पर बड़े नेताओं के पुतले जलाए जा रहे हैं इसी के साथ जिनको भाजपा और कांग्रेस से टिकट नहीं मिला उन्होंने अन्य पार्टी का हाथ थाम लिया है और कुछ ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का भी फैसला किया है।
वहीं भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों को यह चिंता है कि कहीं बागी इस बार भी उनका खेल न बिगाड़ दें क्योंकि 2018 में भी ऐसा हो चुका है तब भाजपा और कांग्रेस के 25 से ज्यादा नेता पार्टी के खिलाफ मैदान में उतर गए थे और पांच सीटों पर भाजपा के दिग्गज चुनाव भी हार गए थे। कांग्रेस को 7 सीट पर हार मिली थी इस बार भी दोनों पार्टियों ने अपनों को छोड़कर दूसरे दलों से आए बागियों को उम्मीदवार बना दिया है
2018 में इन पांच सीटों पर बागियों के चलते मिली थी हार
बता दें की बगावत के परिणाम की बात करें तो दमोह की हाई प्रोफाइल सीट की चर्चा भी खास है। यहां पर बीजेपी का गढ़ था यहां से दिग्गज नेता जयंत मलैया लगातार जीत रहे थे। 2018 के चुनाव में भाजपा के रामकृष्ण बागी हो गए उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ा कुसमरिया को केवल 1,331 वोट मिले लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि जयंत मलैया यहां से हार गए।
वहीं ऐसा ही परिणाम ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट पर देखने को मिला था यहां पर भाजपा की बागी समीक्षा गुप्ता ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और उन्हें 37,745 वोट मिले थे वहीं भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार नारायण सिंह कुशवाहा ने 56,248 वोट हासिल किए। कांग्रेस उम्मीदवार प्रवीण पाठक 56,259 वोट पाकर यहां से जीत गए इस सीट पर जीत का अंतर केवल 121 वोटो का था।
वहीं अगर बात करें पोहरी सीट की तो भाजपा नेता कैलाश कुशवाहा यहां बागी होकर बसपा में शामिल हो गए बसपा की टिकट पर उन्हें 52,736 वोट मिले कांग्रेस के सुरेश धाकड़ 606,654 वोट पाकर जीते वहीं भाजपा उम्मीदवार प्रहलाद भारती को केवल 37,268, वोट मिले थे
जिला भिंड में भी विधायक नरेंद्र सिंह का भाजपा ने टिकट काट दिया था और बह नाराज होकर समाजवादी पार्टी में चले गए थे। उन्हें 30, 474 वोट मिले और वह तीसरे स्थान पर आए यहां से जीतने वाले भाजपा के संजीव सिंह 69,170 वोट से जीत गए थे भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को 33, 221 वोट मिले और कांग्रेस चौथे स्थान पर आई।
इस बार भाजपा के कई बागी ठोक रहे हैं ताल
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2023 में भाजपा कांग्रेस के बागी मैदान में ताल ठोक रहे हैं। इसमें भाजपा के कई बागियों को कांग्रेस अपना उम्मीदवार बना चुकी है इसमें पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी के पुत्र दीपक जोशी भी शामिल हैं और उनको कांग्रेस ने खातेगांव से मैदान में उतार दिया है भाजपा के पूर्व सांसद बोध सिंह भगत को कटंगी से टिकट दिया गया है। इसी महीने भाजपा से आए रामकिशोर शुक्ला को महू से उम्मीदवार बनाया गया है
भाजपा से कई नेता लड़ सकते हैं निर्दलीय चुनाव
भाजपा ने कई मौजूदा विधायकों का टिकट काटा है बात करें अगर सीधी की तो यहां से विधायक केदार शुक्ला का टिकट कट गया है। भाजपा ने उन्हें टिकट नहीं दिया है अब बह निर्दलीय चुनाव में उतरने की भी तैयारी कर रहे हैं। सतना से रत्नाकर चतुर्वेदी ने विरोध में चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है भाजपा के मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी नई पार्टी बनाकर चुनाव में उतरने जा रहे हैं।
कांग्रेस पार्टी में भी है भारी विरोध कई नेता हुए बागी
कांग्रेस पार्टी में भी टिकट कटने से कई नेता बागी हो गए हैं। पार्टी कार्यकर्ता अपने नेताओं के लिए जमकर प्रदर्शन कर रहे हैं कांग्रेस से सुमावली विधायक अजब सिंह कुशवाहा का टिकट कट गया है तो वह इस्तीफा देकर बसपा में शामिल हो गए बसपा ने उन्हें टिकट देने का भी वादा कर दिया है ।
बडनगर विधायक मुरली मोरवाल निर्दलीय चुनाव लड़ने जा रहे हैं महू कांग्रेस नेता अतर सिंह दरबार भी निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं आलोट से पूर्व विधायक प्रेमचंद गुड्डू निर्दलीय लड़ने जा रहे हैं कांग्रेस के टिकट पर जीते बड़वाह विधायक सचिन बिरला इस बार भाजपा से उम्मीदवार हैं।