शहडोल : भले ही हमारा देश डिजिटल की ओर अग्रसर है। देश को डिजिटल इंडिया के नाम से संबोधित किया जा रहा लेकिन आज भी लोग पुराने ढंग पर जीने को मजबूर है। जिसकी एक बानगी शहडोल जिले के अंतिम छोर स्थित ब्यौहारी ब्लॉक के विजयासोता में देखने को मिली जहां पुल न होने के कारण कई दशकों से लोग जान जोखिम में डालकर नदी की तेज धार के बीच इस पार से उस पार जाने लिए नाव में बाईक साइकल रखकर नाव में खुद सवार होकर नदी पार कर अपने रोजमर्रा के काम करते हैं। यह जोखिम भरा सफर कोई खुशी से नहीं बल्कि मजबूरी में कर रहे हैं। 112 करोड़ की लागत से पुल निर्माण स्वीकृति के बावजूद भी प्रशासनिक लचर व्यवस्था के चलते पुल निर्माण नहीं हो नहीं हो पा रहा, जिससे जिंदगी दांव में लगाकर लोग आज भी नाव के सहारे जीवन का सफर करने को विवश है।
शहडोल जिले के अंतिम छोर स्थित ब्यौहारी ब्लॉक के ग्राम पंचायत विजयासोता की इस तस्वीर को देखर आपका कलेजा भी जोर जोर से धड़कने लगेगा। हम ऐसा इसलिए कह रहे कि यहां का नजारा ही कुछ ऐसा है। ब्यौहारी के ग्राम विजयासोता में लगभग डेढ़ किलोमीटर लंबी सोन नदी में कोई पुल नहीं होने से नदी के इस पर के लगभग 80 से अधिक ग्रामीण व ऐसा ही उस पार 60 से अधिक गांव के लोग को रोजाना जान हथेली में लेकर जान जोखिम में डालकर कई दसको से अपने निजी वाहन बाइक व साइकिल से कुछ किलोमीटर का सफर तय करके विजयासोता स्थित सोन नदी पार के लिए अपनी बाइक व साइकिल समेत अन्य सामग्री लोड कर खुद सवार होकर नदी पार कर हर रोज अपनी जिंदगी दांव में लगा रहे है।
आलम यह है कि नदी के उस पार के लगभग 60 से अधिक ग्रामीण अपने रोजमर्रा की जरूरत की सामग्री लेने जाने व रिस्तेदारी, इलाज कराने जैसे अन्य महत्वपूर्ण काम के लिए नदी के उस पार से इस पार ब्यौहारी आने के लिए नदी पार करना पड़ता है। ऐसा ही इस पार के लगभग 50 गांव के लोगों को उस पर जाने के लिए नदी पार करना पड़ता है। लेकिन पुल की सुविधा नहीं होने से मजबूरी में उन्हें जान जोखिम में डालकर नाव के सहारे आना जाना पड़ता है।