बीजिंगः चीन की आक्रामक और क्रूर नीतियों के चलते सिर्फ दुनिया में ही नहीं बल्कि चीन के भीतर भी राष्ट्रपति जिनपिंग के खिलाफ क्रोध की चिंगारी सुलग रही है। इसका अंदाजा इस बात से सहज ही लगाया जा सकता है कि अंतर्राष्ट्रीय मामलों में चीन के बारे में वैश्विक जनमत के हालिया सर्वेक्षणों में काफी हद तक नकारात्मक रिपोर्ट सामने आई है ।दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश चीन में अब कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। अर्थव्यवस्था की धीमी होती रफ्तार से लोगों का गुस्सा खुलकर सामने आने लगा है। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की नीतियों की भी जमकर आलोचना हो रही है।
वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, जिनपिंग की नीतियों के चलते चीनी के दोस्त बहुत कम बचे हैं और दुश्मनों की संख्या बढ़ी है। इसके चलते अब उन्हें देश के साथ-साथ विदेशों में भी आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। चीन की कम हो रही जनसंख्या व धीमी अर्थव्यवस्था उसके लोगों के साथ-साथ चीनी राष्ट्रपति को भी मुश्किल में डाल रही है। चीन की जनसंख्या कम होना यह इकलौती दिक्कत नहीं है। दरअसल चीनी लोग अब बूढ़े हो रहे हैं और युवा आबादी लगातार कम हो रही है जिसके कारण वर्कफोर्स की कमी हो रही है। चीन में रोजगार की भारी कमी है। युवा बेरोजगारी इस हद तक बढ़ गई कि चीनी सरकार ने हाल ही में प्रासंगिक डेटा जारी करने पर रोक लगा दी थी। यानी चीन अब बेरोजगारी के आंकड़े जारी नहीं करता है।
वाशिंगटन पोस्ट ने सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के नीति, एशिया और वैश्विक व्यापार के उपाध्यक्ष नाओमी विल्सन के हवाले से बताया, चीन को यह पहचानने की जरूरत है कि वे अब इस प्रकार के विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए अपने बाजार के विशाल पैमाने पर भरोसा नहीं कर सकते। उन्होंने कहा, यहां तक कि चीनी कंपनियों के बीच भी चीन के बाहर शिफ्ट होने के प्रयास किए गए हैं। एशिया में, अमेरिका ने चीन के पड़ोसियों के साथ गठबंधन और साझेदारी के जाल को लगातार मजबूत किया है। चीन के बढ़ते आक्रामक व्यवहार के कारण अमेरिकी उसके पड़ोसी देशों से संबंधों को मजबूत कर रहा है।
शी जिनपिंग 2008 में जब चीन के प्रमुख बने थे तो लगा था कि जिनपिंग की नीतियां चीन को आर्थिक इंजन बनाने की राह पर ले जा रही थीं लेकिन मौजूदा स्थिति कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है। जिसे व्यापक आर्थिक आंकड़ों के साथ-साथ उस युवा पीढ़ी की घटती उम्मीदों में भी देखा जा सकता है। चीन अभी भी उन घावों से उबर नहीं पाया है जो राष्ट्र को महामारी के कठोर लॉकडाउन के दौरान मिले थे। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार, अब रियल एस्टेट सेक्टर में मची अत्यधिक उथल-पुथल स्थिति को और भी बदतर बना रही है। चीन में जीवन के लगभग सभी पहलुओं पर शी जिनपिंग की लगातार मजबूत हो रही सत्तावादी पकड़ यकीनन स्थिति को बदतर बना रही है।
काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स के वरिष्ठ फेलो और लंबे समय से चीन पर नजर रखने वाले इयान जॉनसन ने लिखा, सरकार के पूर्ण नियंत्रण के प्रयास ने देश को धीमी वृद्धि के रास्ते पर खड़ा कर दिया है और असंतोष की कई जगहें पैदा कर दी हैं चीन की नीति का असर विदेशी देशों के साथ उसके संबंधों पर भी पड़ रहा है। हाल ही में, अमेरिकी वाणिज्य सचिव जीना रायमोंडो ने चीन का दौरा किया और चेतावनी दी कि मौजूदा अनिश्चितता अमेरिकी निवेशकों की नजर में चीन को निवेश के योग्य नहीं बना रही है।