गिलोय की लता को चबाना या उसे उबालकर काढ़ा बनाना ताजे गिलोय के सेवन का सबसे आसान तरीका है। लेकिन क्या यह गिलोय के टैबलेट से बेहतर है?
कोविड-19 के चलते हम कम से कम अपनी इम्युनिटी का ख्याल रखना तो सीख ही गए हैं। इम्युनिटी की जब भी बात हो, गिलोय का नाम सबसे पहले आता ही है। आयुर्वेद में गिलोय का सेवन सदियों से होता आया है और आज साइंस भी गिलोय के फायदों को मानती है।
क्यों फायदेमंद होता है गिलोय?
गिलोय एंटीऑक्सिडेंट का भंडार है जो फ्री-रेडिकल्स से लड़ने का काम करता है। फ्री रेडिकल्स शरीर मे ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस बढ़ने पर पैदा होते हैं, जो शरीर के सभी महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुचाते हैं। गिलोय का सेवन इन फ्री रेडिकल्स को खत्म करता है जिससे शरीर को नुकसान पहुंचने से बच जाता है।
बुखार का इलाज करने से लेकर पाचन और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने तक गिलोय आपके लिए फायदेमंद है। गिलोय वैश्विक स्तर पर प्रचलित जड़ी-बूटी है जो इम्युनिटी को बढ़ाने में मदद करती है। यह एंटीऑक्सिडेंट का महत्वपूर्ण स्रोत है जो फ्री-रेडिकल्स से लड़ता है। आपकी कोशिकाओं को स्वस्थ रखता है और बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। गिलोय शरीर से टॉक्सिन को हटाने में मदद करता है।
यही नहीं गिलोय के सेवन से रक्त शुद्ध होता है। यह कई रोगों के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया से लड़ता है और इंफेक्शन के जोखिम को भी कम करता है।
गिलोय में एंटी-पायरेटिक प्रॉपर्टी होती हैं। इसलिए यह डेंगू, स्वाइन फ्लू और मलेरिया जैसी कई बीमारियों के खतरों को कम कर सकता है।
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ हेल्थ की रिपोर्ट में पाया गया है कि गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट के रूप में कार्य करता है और मधुमेह के इलाज में मदद करता है। गिलोय का रस ब्लड शुगर लेवल को कम करने का काम करता है।
लेकिन क्या ताजा गिलोय टैबलेट और कैप्सूल से बेहतर है?
सबसे पहले बात करते हैं उन सभी तरीको की जिनसे आप गिलोय का सेवन कर सकती हैं। गिलोय की लता या डंडी चबायी जाती है। इसे उबालकर काढा भी बनता है। गिलोय का रस भी बनता है जो बाजार में उपलब्ध भी है। इसके अतिरिक्त टैबलेट और कैप्सूल के रूप में भी गिलोय बाजार में मौजूद है। असल मे रस या ताजे गिलोय में एक कड़वा स्वाद होता है, जिससे बचने के लिए लोग टैबलेट या कैप्सूल चुनते हैं।
अगर आप आयुर्वेद की जानकारी रखते होंगे, तो आपको पता होगा कि पतंजलि से लेकर बहुत सी आयुर्वेदिक ब्रांड गिलोय की टेबलेट और कैप्सूल बनाती हैं। इनमें गुण गिलोय के ही होते हैं। मगर कोई स्वाद नहीं होता।
गिलोय में एंटीऑक्सीडेंट प्रॉपर्टी होती हैं जिससे यह इम्युनिटी बढ़ाता है। टैबलेट या कैप्सूल के लिए 250mg दिन में दो बार डोज होता है, यानी दिन में 500 मिलीग्राम गिलोय। अब कैप्सूल या टेबलेट में भी वही गुण होते हैं जो ताजे गिलोय में मिलेंगे, लेकिन इसमें एक कमी है।
गिलोय का रस या काढ़ा शरीर मे जाते ही असर करता है। बुखार उतारने से लेकर खून में शुगर लेवल कम करने तक ताजा गिलोय तुरंत काम शुरू करता है। जबकि कैप्सूल या टैबलेट को घुलने में समय लगता है।
भोजन से पहले गिलोय की टैबलेट लेने से आपकी शुगर नियंत्रित रहेगी। लेकिन अगर आप भोजन से पहले लेने के बजाय बाद में लें तो यह काम करने से समय लेगी। ऐसा ताजे गिलोय के साथ नहीं होता।
क्या गिलोय के साइड इफेक्ट्स होते हैं?
गिलोय के सेवन के कोई गंभीर दुष्प्रभाव नहीं हैं क्योंकि यह एक प्राकृतिक और सुरक्षित औषधि है। हालांकि, कुछ मामलों में गिलोय के उपयोग से कब्ज और ब्लड शुगर लेबल कम हो सकता है। इसलिए यदि आप मधुमेह के रोगी हैं और लंबे समय से गिलोय का सेवन कर रहे हैं, तो अपने बल्ड शुगर लेवल की नियमित रूप से जांच करते रहें। इसके अलावा,यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही तो गिलोय के उपयोग से बचें।
गिलोय के सेवन से पहले मात्रा डॉक्टर से सलाह लेकर ही तय करें।