उत्तराखंड के चमोली जनपद में गत 19 जुलाई को दिन में लगभग 11:25 बजे नमानि गंगे के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (निकट, पुराना सस्पेंशन ब्रिज) में करंट लगने से 16 लोगों की मृत्यु एवं 12 अन्य के घायल होने के मामले की मजिस्ट्रीयल जांच रिपोर्ट शनिवार को शासन को मिल गई।
उक्त घटना के तुरन्त बाद, अपर जिला अधिकारी अभिषेक त्रिपाठी को जांच के आदेश दिए गए थे। इस जांच के दौरान, जांच अधिकारी ने 39 व्यक्तियों के बयान लिए। इस दौरान, एसटीपी प्लांट की विद्युतीय व्यवस्था, किए गए अनुबन्ध एवं विद्युत सुरक्षा के मानकों के अनुरूप नहीं पाई गई। चैंज ओवर पैनल में शार्ट सर्किट हुआ तथा कन्ट्रोल पैनल एवं मैन पैनल में तीव्र अर्थ फाल्ट हुआ। निर्धारित मार्ग में उचित अर्थिग न मिलने पर अर्थ कनैक्शन से जुडे मैटेलिक स्ट्रैक्चर, जिसमें कि प्लांट में प्रवेश हेतु निर्मित सीढियां, रैलिंग, इत्यादि में करंट फैल गया। इसी दौरान उपस्थित व्यक्ति, जो लोहे के स्ट्रेक्चर, रेलिंग, जाली इत्यादि के सम्पर्क में आए, उन्हें करंट लगा और उनकी मृत्यु हो गई तथा कई व्यक्ति घायल हो गए। जांच में पता चला कि विद्युत सुरक्षा विभाग की आख्या के अनुसार, मीटर के बाद न तो एमसी जंक्शन बॉक्स और न ही उचित क्षमता का एमसीसीबी लगाया गया, जबकि यह बहुत आवश्यक था। इसके स्थान पर चैंज ओवर का प्रयोग किया जा रहा था। एसटीपी परिसर पर अर्थिंग मानको के अनुरूप नहीं पाई गई और अर्थिंग के लिए वैल्यू मानकों से अधिक पाई गई। ऐसी स्थिति में शार्ट सर्किट होने पर पूर्ण रूप से करंट की अर्थिंग न होकर एसटीपी के लोहे के स्टेक्चर और लोहे की रेलिंग में प्रवाहित हुई।
मजिस्ट्रियल जांच में पता चला कि अनुबंधित फर्म के द्वारा किए गए कार्यों का अनुश्रवण/समीक्षा ही नहीं हुई। साथ ही, विद्युत विभाग एवं जल संस्थान के कार्मिको के मध्य आपसी सामंजस्य का अभाव रहा। एसटीपी प्लांट पर पहुँचने वाले रास्ते का संकरा होना भी उक्त दुर्घटना की वीभत्सता का एक कारण पाया गया है। इस दुर्घटना के लिए दो संयुक्त कार्यदायी संस्था मेसर्स जय भगवान मलिक कंट्रक्टर, पटियाला (मुख्य पाटर्नर) और मैसर्स कॉन्फिडेंट इंजीनियरिंग इंडिया प्रा लि, कोयंबटूर के साथ, उत्तराखंड पेयजल निगम, जल संस्थान के मध्य हुए अनुबन्ध का उल्लंघन प्रकाश में आया। त्रिपाठी ने जांच रिपोर्ट में साफ लिखा है कि संयुक्त कार्यदायी फर्म एवं विभाग के मध्य हुए अनुबन्ध के अनुरूप कार्मिकों की तैनाती भी नही की गई थी। जांच में पता चला कि भाष्कर महाजन, डायरेक्टर एक्सिस पावर कंट्रोल्स, दिल्ली व ज्वाइंट वेंचर फर्म के रूप में विभाग के साथ अनुबंध करने वाले जय भूषण मलिक एवं रत्ना कुमार द्वारा एक दूसरे पर दायित्व और जिम्मेदारियों के आरोप लगाने से ज्वाइंट वेंचर फर्म के द्वारा विभाग के साथ किए गए अनुबंध का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है। जबकि उक्त भास्कर महाजन उक्त संयुक्त फर्मों का अधिकृत व्यक्ति अथवा कार्मिक न होते हुए भी कार्य कर रहा था। इस रिपोर्ट में एसटीपी के ऑपरेशंस और मेंटेनेंस के लिए जल संस्थान, गोपेश्वर को प्रस्तुत बिलों का संदिग्ध होना भी प्रकाश में आया है।
मजिस्ट्रियल जांच में नमामि गंगे कार्यक्रम के अर्न्तगत, उक्त दोनों फर्मों के अनुबन्ध को निरस्त करने की संस्तुति की गई है। साथ ही, इन्हें उत्तराखंड राज्य में ब्लैक लिस्ट किए जाने की संस्तुति की गई है। साथ ही भास्कर महाजन की फर्म एक्सिस पावर कंट्रोल्स, दिल्ली को भी उत्तराखंड राज्य में ब्लैक लिस्ट किए जाने की संस्तुति की गई है। साथ ही उक्त तीनों फर्मों को सक्षम स्तर के माध्यम से पूरे भारतवर्ष में भी ब्लैक लिस्ट किए जाने की संस्तुति की गई है। इतना ही नहीं, जांच रिपोर्ट में अनुबंध की शेष अवधि में अनुबंध के अधीन, समस्त सीवरेज ट्रीटमेंट प्लाटों के ऑपरेशन और मेन्टिनेंस पर आने वाले खर्च, मरम्मत इत्यादि पर होने वाले कुल व्यय को उक्त ज्वाइंट वेंचर फर्म से भू राजस्व की भांति वसूल किए जाने की संस्तुति भी की गई है।
इसके अलावा, मजिस्ट्रेट ने दोनो फर्मों द्वारा उत्तराखंड पेयजल निगम को दी गई 110.75 लाख रुपए की बैंक गारंटी (अथवा जो भी धनराशि अद्यतन रूप से ज्वाइंट वेंचर फर्म की दोनों फर्मों द्वारा जमा की गई है) जिसकी वैधता दिनांक 31 जुलाई, 2023 है, को तत्काल प्रभाव से जब्त करने की संस्तुति की है। साथ ही, दुर्घटना के कारण उक्त सभी फर्मों के विरुद्ध विधि अनुकूल दंडात्मक कार्रवाई किए जाने की संस्तुति की गई है। इतना ही नहीं, संबधित विभागीय कार्मिकों, अधिकारियों, जो ज्वाइट वेंचर फर्म के साथ अनुबन्ध की शर्तों का अनुपालन कराने में असफल रहे व नियमित निरीक्षण व अनुश्रवण करने में भी असफल रहे के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई करने की संस्तुति की जाती है।