उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में भारी बारिश होने तथा हथिनीकुंड बैराज से यमुना में पानी छोड़े जाने से राष्ट्रीय राजधानी में नदी का जल स्तर बढ़ने तथा बाढ़ प्रभावित निचले इलाकों में राहत और पुनर्वास कार्य प्रभावित होने की आशंका है। पिछले कुछ दिनों से यमुना का जलस्तर खतरे के निशान (205.33 मीटर) के आसपास बना हुआ है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने 25 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश का पूर्वानुमान व्यक्त किया है। इससे एक बार फिर से यमुना का जलस्तर बढ़ने की आशंका है।
दिल्ली सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग के अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के ऊपरी हिस्से में भारी बारिश से राजधानी के निचले इलाकों में बाढ़ से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास पर असर पड़ेगा और उन्हें लंबे समय तक राहत शिविरों में रहना पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि इसका असर शहर में पानी की आपूर्ति पर भी पड़ सकता है, जो वजीराबाद में एक पंप हाउस में पानी भर जाने के कारण चार या पांच दिनों तक प्रभावित हुई थी। अधिकारी ने बताया कि वजीराबाद में स्थित पंप हाउस, चंद्रावल और ओखला उपचार संयंत्रों को कच्चे पानी की आपूर्ति करता है, जो शहर की आपूर्ति का लगभग 25 प्रतिशत है।
दिल्ली के कुछ हिस्से पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से जलभराव और बाढ़ से जूझ रहे हैं। दिल्ली में बाढ़ के परिणाम विनाशकारी रहे हैं, शहर में 27,000 से अधिक लोगों को उनके घरों से निकाला गया। संपत्ति, व्यवसाय और कमाई के मामले में नुकसान का आंकड़ा करोड़ों तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों के मुताबिक, दिल्ली में भीषण बाढ़ का कारण यमुना नदी के बाढ़ क्षेत्र पर अतिक्रमण, थोड़े समय के भीतर ज्यादा बारिश और गाद जमा होना है।