भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने कारोबारी लेन-देन अपनी मुद्राओं में शुरू करने और भारत की एकीकृत भुगतान प्रणाली यूपीआई को यूएई के तत्काल भुगतान मंच आईपीपी से जोड़ने पर शनिवार को सहमति जताई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यहां यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान के साथ हुई व्यापक वार्ता के दौरान इन दोनों मुद्दों पर सहमति जताई गई। बैठक खत्म होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और यूएई के बीच व्यापार पिछले साल मई में व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौता लागू होने के बाद से करीब 20 प्रतिशत बढ़ चुका है।
उन्होंने कहा कि भारत और यूएई के बीच स्थानीय मुद्राओं में कारोबारी लेन-देन शुरू करने का समझौता दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक सहयोग और आपसी विश्वास को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि इस समझौते से द्विपक्षीय कारोबार एवं निवेश को मजबूती मिलेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘महामहिम शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से मिलना हमेशा खुशी की बात है। विकास के लिए उनकी ऊर्जा और दृष्टिकोण सराहनीय है। हमने सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के तरीकों सहित भारत-यूएई संबंधों से जुड़े सभी विषयों पर चर्चा की।” मोदी ने कहा कि उन्हें शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान से हमेशा भाई का प्यार मिला।
उन्होंने यूएई के राष्ट्रपति से कहा, ‘‘जिस तरह से हमारे देशों के बीच संबंधों का विस्तार हुआ है, उसमें आपका बहुत बड़ा योगदान है। भारत का हर व्यक्ति आपको एक सच्चे दोस्त के रूप में देखता है।” दोनों देशों के केंद्रीय बैंकों के बीच हुए समझौते के तहत दोनों देशों की मुद्राओं रुपये और यूएई दिरहम में कारोबारी लेन-देन किए जा सकेंगे। इस समझौते पर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास और यूएई सेंट्रल बैंक के गवर्नर खालेद मोहम्मद बलामा ने दो समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए।
आधिकारिक वक्तव्य के मुताबिक, दोनों देशों के केंद्रीय बैंक रुपये और दिरहम का कारोबारी लेनदेन में इस्तेमाल बढ़ाने के लिए एक ढांचा खड़ा करेंगे। इसके साथ ही वे दोनों देशों की भुगतान प्रणालियों यूपीआई और आईपीपी को एक-दूसरे से जोड़ने के लिए सहयोग करेंगे। भारत और यूएई के बीच स्थानीय मुद्राओं में कारोबार करने से संबंधित समझौता ज्ञापन में एक स्थानीय मुद्रा निपटान प्रणाली (एलसीएसएस) भी स्थापित करने का इरादा जताया गया है। इससे भारतीय रुपये और यूएई दिरहम दोनों को लाभ होगा।
आरबीआई ने एक बयान में कहा कि समझौता ज्ञापन में चालू खातों के सारे लेनदेन और स्वीकृत पूंजी खाता लेनदेन भी शामिल हैं। स्थानीय मुद्राओं में कारोबार शुरू होने से लेन-देन की लागत और निपटान समय में कमी आने के साथ यूएई में रहने वाले भारतीय नागरिकों के स्वदेश भेजे जाने वाले धनप्रेषण में भी लाभ होगा। दोनों देशों के केंद्रीय बैंक अपनी त्वरित भुगतान प्रणालियों- यूपीआई और आईपीपी को जोड़ने की दिशा में काम करने के लिए भी सहमत हुए हैं।
इसके साथ दोनों देशों के कार्ड स्विच रुपे और यूएईस्विच को भी जोड़ने पर सहमति जताई गई है। इसके अलावा आरबीआई और यूएई सेंट्रल बैंक अपनी भुगतान संदेश प्रणालियों को भी जोड़ने की संभावनाएं तलाशेंगे। इसके तहत भारत की संरचित वित्तीय संदेश प्रणाली (एसएफएमएस) को यूएई की समान प्रणाली से जोड़ने की कोशिश की जाएगी। इस बीच, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली का अबू धाबी में एक परिसर खोलने के बारे में भी एक समझौता किया गया। इसके पहले आईआईटी मद्रास तंजानिया के जंजीबार में अपना परिसर खोलने का समझौता कर चुका है।