पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) को वहां अपनी स्थिति मजबूत नजर आ रही है। राज्य की सत्ता पाने के लिए पार्टी पूरी कोशिश कर सकती है। बीजेपी के अध्यक्ष जेपी नड्डी हों या राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, दोनों के बयानों से संकेत मिलने लगे हैं कि पार्टी बंगाल चुनाव में सीएए के सहारे वोटों के ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश करेगी।
पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटी भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है कि चुनाव के पहले नागरिकता कानून को लागू करना प्राथमिकता में रहेगा, क्योंकि उनकी पार्टी और केंद्र दोनों राज्य की शरणार्थी आबादी की चिंताओं को दूर करना चाहती है।
इससे पहले बंगाल दौरे पर पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी सीएए का मुद्दा छेड़ा था। उन्होंने कहा था, ‘आपको सीएए मिलेगा और मिलना तय है। अभी नियम बन रहे हैं। कोरोना के कारण थोड़ी रूकावट आई है। जैसे-जैसे कोरोना हट रहा है, नियम बन रहे हैं। ये मिलना तय है।’ आपको बता दें कि इस कानून के तहत पड़ोसी देश बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम समुदाय के लोगों को नागरिक दी जाएगी।
जेपी नड्डा की बात को आगे बढ़ाते हुए कैलाश विजयवर्गीय ने कल कहा,‘‘फिलहाल राष्ट्रीय नागरिक पंजीयन (एनआरसी) कवायद पर चर्चा नहीं होगी। इस वक्त भाजपा पड़ोसी देशों से उत्पीड़न के शिकार होकर आए शरणार्थियों को नागरिकता देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहती है। उन्होंने कहा, ‘‘हमारी (केंद्र) सरकार ने पड़ोसी देशों में प्रताड़ित होकर आए शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने के इरादे से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) पारित किया। लेकिन सीएए के खिलाफ अदालत में कुछ याचिकाएं हैं।
‘पश्चिम बंगाल में चुनाव के पहले सीएए को लागू करने पर प्राथमिकता देंगे’
विजयवर्गीय ने कहा,‘‘हमें उम्मीद है कि जब (महामारी की) स्थिति सामान्य होगी तो इस पर फैसला होगा। हम पश्चिम बंगाल में चुनाव के पहले सीएए को लागू करने पर प्राथमिकता देंगे।’’ सीएए को लागू करने में देरी के कारण बांग्लादेश से राज्य में आए मतुआ समुदाय के लोगों के एक धड़े के बीच बेचैनी बढ़ती जा रही है। भाजपा सांसद शांतनु ठाकुर ने हाल में कहा था कि बंगाल में तुरंत कानून को लागू करने के लिए वह शाह को पत्र लिखेंगे ताकि मतुआ समुदाय को नागरिकता का अधिकार मिले।
बांग्लादेश में हिंदुओं के मकानों पर हालिया हमलों का हवाला देते हुए विजयवर्गीय ने कहा कि उस देश और पाकिस्तान में भी उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की मदद के लिए सीएए को लागू किया गया था। पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को लेकर बात करते हुए विजयवर्गीय ने कहा,‘‘राष्ट्रपति शासन लगाए बिना अगले साल मुक्त और पारदर्शी विधानसभा चुनाव संभव नहीं होगा। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि लोग बिना किसी परेशानी के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर पाएं।’’
क्या है पश्चिम बंगाल का सियासी समीकरण
पश्चिम बंगाल के 27 प्रतिशत मुसलमान मतदाताओं को साधने के लिए ममता बनर्जी की लगातार कोशिश रहती है। बीजेपी यह संदेश लगातार हिंदुओ के बीच पहुंचाने की कोशिश करती है। बीजेपी का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से प्रोत्साहन पाकर ये आप्रवासी राज्य में लगातार अपनी स्थिति मज़बूत कर रहे हैं और ये स्थानीय लोगों को हाशिए पर ढकेल रहे हैं। 2011 के विधानसभा चुना में बीजेपी का वोट प्रतिशत चार फ़ीसदी था, जो साल 2016 में बढ़कर 17 फ़ीसदी हो गया। लोकसभा चुनाव में भी इसमें इजाफा हुआ है। इसे बढ़ाने के लिए बीजेपी लगातार आक्रमक रुख अपनाए हुई है।
बंगाल में राष्ट्रपति शासन चाहती है बीजेपी
भाजपा के प्रदेश प्रभारी विजयवर्गीय ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हुए बिना मुक्त और पारदर्शी चुनाव संभव नहीं है। हालांकि, भाजपा पांच नवंबर से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के दो दिवसीय दौरे के दौरान शायद यह मुद्दा नहीं उठाएगी। प्रदेश इकाई बंगाल में हालिया राजनीतिक हत्याओं और कुछ पुलिस अधिकारियों के राजनीतिकरण और अपराधीकरण पर अपनी शिकायतों से उन्हें अवगत कराएगी।
तृणमूल कांग्रेस के मंत्री संपर्क में नहीं
क्या पार्टी की प्रदेश इकाई तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ मंत्री सुवेंदु अधिकारी के साथ संपर्क में है, इस पर विजयवर्गीय ने कहा कि नहीं। सुवेंदु अधिकारी कुछ समय से सत्तारूढ़ दल से दूरी बनाए हुए हैं। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) सुप्रीमो बिमल गुरुंग के तृणमूल कांग्रेस खेमे में जाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि गोरखा नेता के राजग का साथ छोड़ने के फैसले से बहुत असर नहीं पड़ेगा क्योंकि समुदाय के एक बड़े हिस्से को लगता है कि उन्होंने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी से हाथ मिलाकर उनके साथ छल किया है।