होली पर हुई कहासुनी से जुड़े एक आपराधिक मामले को बंद करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने आरोपियों को अपने घरों के आसपास 10-10 पेड़ लगाने और दस सालों तक उनकी देखभाल करने को कहा है। न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने आरोपियों की याचिका पर हाल के अपने आदेश में संबंधित पक्षों के बीच सुलह हो जाने पर प्राथमिकी खारिज कर दी और कहा कि इस मामले को जारी रखने की अनुमति देने में उन्हें ‘फलप्रद मकसद’ नजर नहीं आता है।
अदालत ने कहा कि लेकिन न्यायालय और पुलिस का वक्त बर्बाद हुआ है, इसी बात को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ताओं को कुछ सामाजिक नेकी का कार्य करना चाहिए। अदालत ने कहा, ‘‘संबंधित पक्षों की हरकतों की वजह से पुलिस मशीनरी को इस ओर लगाया गया और पुलिस का जो समय महत्वपूर्ण मामलों में उपयोग किया जा सकता था, उसे इस मामले में बर्बाद किया गया । बताया जाता है कि याचिकाकर्ता गरीब तबके से आते हैं । इसलिए मैं याचिकाकर्ताओं पर जुर्माना लगाने से परहेज करता हूं।”
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा, ‘‘मेरा मत है कि याचिकाकर्ताओं को कुछ सामाजिक नेकी का कार्य करना चाहिए…याचिकाकर्ता जांच अधिकारी के परामर्श से अपने -अपने घर के आसपास देशी किस्म के 10-10 पेड़ लगाएंगे।” गैर इरादतन हत्या की कथित कोशिश और आपराधिक धौंस समेत भादंसं की संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्राथमिकी के अनुसार 2017 की होली के दिन कहासुनी हुई थी और एक कथित पीड़ित के सिर पर डंडा से वार किया गया था।







