यूक्रेन युद्ध और अन्य विषयों से संबंधित अमेरिकी सरकार के दर्जनों बेहद खुफिया दस्तावेज इंटरनेट पर लीक हो रहे हैं. सरकार अब यह समझने में लगी है कि इस लीक से कहीं राष्ट्रीय सुरक्षा पर कोई असर तो नहीं पड़ेगा.अमेरिकी सरकार का न्याय मंत्रालय इस लीक की छानबीन कर रहा है, जिसमें ना सिर्फ यूक्रेन और रूस बल्कि अमेरिका के सहायक देशों से संबंधित बेहद संवेदनशील विश्लेषण और खुफिया दस्तावेज होने की संभावना है. इस बीच अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की डिप्टी प्रेस सचिव सब्रीना सिंह ने एक बयान में कहा है कि उनका मंत्रालय अभी भी ऑनलाइन घूम रहे इन दस्तावेजों की तस्वीरों की वैधता की समीक्षा कर रहा है, लेकिन “ऐसा लगता है कि इनमें संवेदनशील और बेहद खुफिया सामग्री” है. जारी है लीक सिंह ने कहा, “कई एजेंसियां मिल कर इस मामले की जांच कर रही हैं…उनकी कोशिशें यह मूल्यांकन करने पर केंद्रित हैं कि इन दस्तावेजों की तस्वीरों का अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे सहायक देशों और साझेदारों पर क्या असर पड़ सकता है.” हाल के दिनों में लीक हो चुके दर्जनों दस्तावेज और स्लाइड ट्विटर, टेलीग्राम, डिस्कॉर्ड और दूसरी वेबसाइटों पर देखे गए हैं, और अभी भी नए नए दस्तावेजों के लीक होने की खबरें आ रही हैं. अमेरिकी अधिकारियों ने वॉशिंगटन पोस्ट अखबार को बताया कि ऐसा लग रहा है कि कुछ दस्तावेजों से छेड़छाड़ की गई है लेकिन कई दस्तावेज सीआईए की वर्ल्ड इंटेलिजेंस रिव्यू रिपोर्टों के अनुरूप थे जिन्हें व्हाइट हाउस, पेंटागन और विदेश मंत्रालय में उच्च स्तर पर भेजा जाता है. हो सकता है नुकसान रक्षा समीक्षकों का कहना है कि आंतरिक खुफिया कागजात के किसी भी तरह की लीक नुकसानदेह तो होगी ही साथ ही संभावित रूप से शर्मिंदा करने वाली भी हो सकती है. अमेरिकी मीडिया का कहना है कि इसके अलावा अमेरिकी खुफिया तंत्र ने किस तरह से रूसी सैन्य तंत्र में घुसपैठ की हुई है यह दिखाने की वजह से लीक रूस के लिए कीमती भी है. लीक हुए दस्तावेजों में अमेरिका के सहायक देशों की सरकारों की आंतरिक चर्चाओं के बारे में जानकारी भी है. उदाहरण के तौर पर न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक इन कागजात में दक्षिण कोरिया के अंदर चल रही बहस के बारे में भी जानकारी है कि यूक्रेन में इस्तेमाल करने के लिए अमेरिका को तोप के गोले दिए जाए या नहीं