इंदौर: इंदौर के एक मंदिर में रामनवमी पर वीरवार को आयोजित हवन के दौरान पुरातन बावड़ी की छत धंसने से अब तक 35 लोगों की मौत हो गई, जबकि बावड़ी की तलहटी में पांच और शव होने की आशंका है। राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
वहीं राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हादसे के जांच के आदेश दिए है इसके साथ ही मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख मुआवजे का भी ऐलान किया है। एसडीआरएफ के पुलिस उप महानिरीक्षक (डीआईजी) महेश चंद्र जैन ने संवाददाताओं को बताया कि हमने बचाव अभियान के दौरान बावड़ी से 12 शव निकाले हैं, जबकि एक महिला और एक पुरुष की मौत अस्पताल ले जाए जाने के बाद हुई है।
उन्होंने बताया कि बावड़ी का पानी खाली किए जाने के बाद इसकी तलहटी में पांच और शव होने की आशंका है। क्षेत्रीय नागरिकों का दावा है कि हादसे के दौरान मंदिर में मौजूद कम से कम 10 लोग अब तक लापता हैं। इन नागरिकों में शामिल रमेश खत्री ने बताया, “मेरा 11 साल का पोता सोमेश हवन के दौरान मंदिर में था। उसका अब तक पता नहीं चल सका है।
जिलाधिकारी डॉ. इलैया राजा टी. ने बताया कि बृहस्पतिवार दोपहर से शुरू हुआ बचाव अभियान जारी है और बावड़ी का पानी खाली कर लापता लोगों की तलाश की जा रही है। उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ की मदद से चलाए गए बचाव अभियान के तहत करीब 20 लोगों को बावड़ी से बाहर निकालकर बचाया गया। जिलाधिकारी ने बताया कि मंदिर में हुए हादसे की मजिस्ट्रेट जांच कराई जाएगी।
उन्होंने कहा कि प्रशासन ऐसे सार्वजनिक स्थानों को चिह्नित करेगा, जहां इस तरह के हादसे होने की आशंका है। वहीं, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घटना पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि इंदौर में हुई दुर्घटना में नागरिकों के हताहत होने का समाचार अत्यंत दुःखद और हृदय विदारक है। ईश्वर से दिवंगत आत्माओं को अपने श्रीचरणों में स्थान देने और शोकाकुल परिजनों को यह असीम दुःख सहन करने की क्षमता प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।
उन्होंने कहा कि दु:ख की इस घड़ी में हम सब शोकाकुल परिवारों के साथ हैं। मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये तथा घायलों को 50-50 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जायेगी। घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था की जा चुकी है। चिकित्सा का संपूर्ण व्यय प्रदेश सरकार वहन करेगी।
अधिकारियों ने बताया कि मंदिर के संकरी जगह में बने होने के कारण बचाव कार्य में बाधा आई और इस दौरान मंदिर की एक दीवार तोड़ कर पाइप इसके भीतर डाला गया और बावड़ी का पानी मोटर से खींचकर बाहर निकाला गया। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि धार्मिक कार्यक्रम के दौरान मंदिर में पुरातन बावड़ी की छत पर श्रद्धालुओं की काफी भीड़ थी और छत ज्यादा लोगों का बोझ नहीं सहन कर सकी। रहवासियों ने बताया कि मंदिर पुरातन बावड़ी पर छत डालकर बनाया गया था। हादसे के बाद मंदिर के आस-पास उन चिंतित लोगों की भीड़ जुट गई जिनके परिजन हादसे के वक्त मंदिर में मौजूद थे। पटेल नगर रहवासी संघ के अध्यक्ष कांतिभाई पटेल ने इस बात पर नाराजगी जताई कि हादसे की सूचना दिए जाने के बाद भी एक घंटे तक मौके पर एम्बुलेंस नहीं पहुंची थी।