यमुना नदी में अमोनिया का स्तर 3 पीपीएम तक पहुंचने की वजह से सोनिया विहार और भागीरथी जल शोधन संयंत्र में पानी को साफ करने का कार्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित है। इससे आज पूर्वी, उत्तर-पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली के तमाम क्षेत्रों में पानी की सप्लाई प्रभावित है। यमुना नदी में बढ़ते प्रदूषण को लेकर दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने दिल्ली सरकार और दिल्ली जल बोर्ड को जिम्मेदार ठहराते हुए दिल्ली सरकार पर आरोप लगाया।
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली जल बोर्ड जिसके मुखिया मुख्यमंत्री केजरीवाल हैं, उन्हें भी ज्ञात है कि लॉकडाउन के दौरान दिल्ली की हवा व पानी साफ हो गयी थी, परन्तु आज वायु व जल प्रदूषण के कारण दिल्ली की स्थिति बहुत खराब हो गयी है, लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी, दिल्ली सरकार इस खतरे से दिल्ली के लोगों को बचाने व राहत देने के लिए कुछ नहीं कर रही है। दिल्ली में कानून व्यवस्था, मेट्रो, सड़क, हाईवे पर बड़ा हिस्सा, दिल्ली विकास प्राधिकरण के सोसाइटी, पार्क, घरों, प्रमुख अस्पतालों पर केंद्र सरकार खर्च करती है यहां तक कि दिल्ली के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और उनके तमाम मंत्रियों की सुरक्षा पर भी सारा पैसा केंद्र सरकार ही खर्च करती है, तो दिल्ली सरकार बजट का 60 करोड़ रुपए आखिर कहां खर्च करती है?
आदेश गुप्ता ने कहा कि जल शोधन और प्रदूषण नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार ने जो वादे किए थे उसे पूरा नहीं किया जिसका खामियाजा दिल्ली के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को प्रदूषण नियंत्रण के लिए जो प्रभावी कदम उठाने चाहिए थे वह नहीं उठाए गए। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली सरकार के पास भरपूर समय था कि वह कागजों पर की गई बातों को जमीन पर लागू कर सकें लेकिन किया नहीं क्योंकि दिल्ली सरकार दिल्लीवासियों के हितो में काम करने की मंशा नहीं रखती है। लॉकडाउन समाप्त होने पर जब हरियाणा की फैक्ट्रियां शुरू हुई तब यमुना का पानी साफ था लेकिन जैसे ही दिल्ली में जनजीवन सामान्य होने लगा तो यमुना का पानी भी गंदा होने लगा।
आदेश गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार ने दिल्ली सरकार को 2 साल पहले 1000 इलेक्ट्रिक बसों की अनुमति दी थी, लेकिन अभी तक एक भी बस नहीं खरीदी गई। 2018 में वह ग्रीन बजट लाए थे, 26 घोषणाएं हुई लेकिन ज्यादातर घोषणा आज तक लागू नहीं हुई। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद भी दिल्ली सरकार 30 करोड़ रुपए की बजट वाली एंटी स्मॉग टावर नहीं लगाए। दिल्ली सरकार ने पराली को खत्म करने के लिए कोई भी मशीन नहीं खरीदी है जबकि हरियाणा ने 9000 और पंजाब ने 8000 मशीनें केंद्र सरकार से ली लेकिन दिल्ली सरकार ने मना कर दिया।